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लॉकडाउन: भीलवाड़ा में वस्त्र उद्यमियों की टूटी कमर, 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान

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Published : May 30, 2020, 3:37 PM IST

राजस्थान में सबसे पहले कोरोना संक्रमण की शुरुआत 20 मार्च से भीलवाड़ा से हुई. कोरोना संक्रमण  को रोकने के लिए भीलवाड़ा शहर में करीब 56 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा. इस कारण जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद रहीं. इससे यहां के वस्त्र उद्यमियों को अब तक करीब 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.

Bhilwara Textile entrepreneurs, भीलवाड़ा न्यूज़
भीलवाड़ा में वस्त्र उद्यमियों को हुआ बड़ा नुकसान

भीलवाड़ा. कोरोना के संक्रमण की चेन खत्म करने के लिए लॉकडाउन किया गया. लेकिन, लॉकडाउन की वजह से वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले के वस्त्र उद्यमियों को काफी संकट का सामना करना पड़ा है. यहां के वस्त्र उद्यमियों को अब तक करीब 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.

भीलवाड़ा में वस्त्र उद्यमियों को हुआ बड़ा नुकसान

गौरतलब है कि प्रदेश में सबसे पहले कोरोना संक्रमण की शुरुआत 20 मार्च को भीलवाड़ा से हुई. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए भीलवाड़ा शहर में करीब 56 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा. इस कारण वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद रहीं. अब उद्यमियों को भी काफी संकट का सामना करना पड़ा है. जहां उद्यमियों को करीब 4 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है. वहीं, श्रमिकों को रोजगार नहीं मिलने के कारण पलायन करना पड़ा है.

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ईटीवी भारत की टीम ने इस मसले पर भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग से बातचीत की. उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा जिले में वस्त्र उद्योग से संबंधित कुल 450 औद्योगिक ईकाइयां हैं. इसमें कई प्रोसेसिंग और डबलिंग की औद्योगिक इकाइयां हैं. इसलिए इसमें से करीब 250 फैक्ट्रियों के आंकड़ों के आधार पर साल का उत्पादन गिना जाता है. भीलवाड़ा जिले में हर महीने करीब 8.50 करोड़ मीटर कपड़े का उत्पादन होता रहा है. लेकिन, 20 मार्च के बाद करीब 70 दिनों तक वस्त्र उद्यमियों को काफी नुकसान हुआ. करीब 3 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक नुकसान के अलावा फैक्ट्री बंद रहने से मेंटेनेंस का 500 करोड़ रुपये का खर्च और मशीनों के रॉ मैटेरियल का 500 करोड़ रुपये का खर्च आया है. ऐसे में भीलवाड़ा जिले में 4 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है.

बता दें कि लॉडाउन 4.0 के दौरान कुछ फैक्ट्रियां 20 मई से शुरू तो हुई हैं. लेकिन, श्रमिकों के पलायन करने से इनको संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, आगे माल की खपत नहीं होने के कारण भी परेशानी बढ़ रही है.

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