भरतपुर.बेघर लोगों को सहारा देने और उनकी सेवा के लिए जिलें में डॉ. बीएम भारद्वाज और उनकी पत्नी डॉ. माधुरी भारद्वाज ने मिलकर अपना घर आश्रम की स्थापना की थी. इस आश्रम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गरीबों और लाचारों की सेवा करना है, जिनका उनके अपनों ने साथ छोड़ दिया या जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है. मानसिक रूप से बीमार लोगों की भी सेवा अपना घर आश्रम में की जाती है. ऐसे लोगों को इस आश्रम में लाया जाता है. उनका इलाज किया जाता है, खाना-पीना दिया जाता है और सेवा की जाती है.
'सेवा धर्म परम गहनो, योगिना मप्यगम्य' यानी सेवा धर्म की पालना बहुत मुश्किल है, जो योगियों के लिए भी अगम्य है. लेकिन संस्कृत की यह सूक्ति कोरोना काल में भरतपुर के इस अपना घर आश्रम में साकार हो रही है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में आश्रम के कई सेवादार/सेवा साथी घर, परिवार और बच्चों को भूलकर असहाय, निराश्रित और बीमार 'प्रभुजनों' की सेवा में लगे हुए हैं.
आश्रम में 3 हजार से अधिक असहाय और निराश्रित प्रभुजन...
भरतपुर के बझेरा में स्थित अपना घर आश्रम में फिलहाल 3 हजार से अधिक असहाय और निराश्रित प्रभुजन निवास कर रहे हैं. इनकी सेवा के लिए यहां 225 सेवासाथी लगे हुए हैं. आश्रम में कोरोना का संक्रमण ना फैल जाए, इसके लिए आश्रम में 9 क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं. जिनमें आश्रम में आने से पहले सेवा साथियों को 15-15 दिन का क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करनी पड़ती है. उसके बाद ही वो प्रभुजनों की सेवा में लगते हैं.
6 महीने से नहीं गए घर...
हालात ये हैं कि कई सेवादार 6-6 माह गुजरने के बाद भी ना तो घर गए हैं और ना ही अपने बच्चों से मिले हैं. ETV भारत ने जब ऐसे सेवादारों से बात की, तो उनका कहना था कि प्रभुजन की सेवा ही उनकी पहली प्राथमिकता है.
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बझेरा निवासी सेवादार रामवती ने बताया कि वो अपना घर आश्रम में बीते करीब 13 वर्ष से सेवाएं दे रही हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते उन्हें अपने घर गए और बच्चों से मिले हुए करीब 6 महीने का समय गुजर गया है.