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विश्व विकलांग दिवस: भरतपुर की ये संस्थान 38 सालों से दे रही सहारा, पौने दो लाख दिव्यांगों को दिए कृत्रिम अंग

विश्व विकलांग दिवस पर आपको भरतपुर की भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के बारे में बताएंगे. जिसने 38 सालों से 1 लाख 75 हजार से ज्यादा दिव्यांगों को निशुल्क और निस्वार्थ भाव से सहायता उपलब्ध कराई है. ये संस्था छह प्रकार के कृत्रिम अंग दिव्यांगों को देती है. जो उनके जीवन में सहारा देता है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

World Disability Day 2019, Mahavir Disability support Committee,
भरतपुर की ये संस्थान 38 सालों से दे रही सहारा

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Published : Dec 3, 2019, 6:11 PM IST

भरतपुर.किसी ने दुर्घटना में अपने शरीर का कोई अंग खो दिया तो किसी ने बीमारी से. लेकिन ऐसे दिव्यांगों को असहाय और मजबूर होने से बचाया के लिए भरतपुर की एक संस्थान आगे आई. भरतपुर शहर में करीब 38 साल से संचालित श्री भगवान महावीर सहायता समिति ने अब तक लाखों दिव्यांगों को निशुल्क और निस्वार्थ भाव से सहायता उपलब्ध कराई है. वर्ष 1981 में स्थापित हुई इस संस्था में अब तक एक लाख 75 हजार से अधिक दिव्यांगों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाया है.

भरतपुर की ये संस्थान 38 सालों से दे रही दिव्यांगों को सहारा, देखिए रिपोर्ट

उपलब्ध कराते हैं छह प्रकार के कृत्रिम अंग
समिति के सचिव डॉ. यू एस जुरैल ने बताया कि वर्ष 1981 में स्थापित की गई इस संस्था के माध्यम से अब तक एक लाख 75 हजार लोगों को कृत्रिम अंग समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से आर्टिफिशियल लिंब, क्लिपर, ट्राई साइकिल, व्हील चेयर और वैसाखी समेत कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. यह सभी सुविधाएं पूरी तरह से निशुल्क होती है. ऐसे दिव्यांगों के लिए कृष्णा नगर स्थित समिति में ही कृत्रिम अंग तैयार किए जाते हैं और ट्रायल के बाद उन्हें प्रदान कर दिए जाते हैं.

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किस्मत ने पैर छीना तो समिति ने दिया सहारा
संस्था में आए एक दिव्यांग रणवीर सिंह ने बताया कि उनका वर्ष 2002 में कृषि कार्य करने के दौरान इंजन फटने से एक पैर कट गया. तब से अभी तक श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति की ओर से निशुल्क उपलब्ध कराया गया. कृत्रिम पैर ही उनका सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है. उन्होंने बताया कि कृत्रिम पैर के सहारे ही वह अपने दैनिक कार्य कर पाते हैं.

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गौरतलब है कि 3 दिसंबर विश्व विकलांग दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगों और विकलांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है.

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