भरतपुर. कोरोना वायरस ने पूरे देश मे ऐसा कोहराम मचाया है जिसके बाद पूरा देश उथल पुथल हो गया है. साथ ही देश मे लॉकडाउन के बाद लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं. देश मे सारी फैक्टरियां, कारखाने बंद हो गए है. ऐसे में जो मजदूर बाहर की फैक्टरियों में काम कर रहे थे वो अपने घर पलायन करने को मजबूर है, लेकिन उनके सामने एक बड़ी समस्या भी पैदा हो गई है. देश मे कही भी यात्रियों के लिए वाहन नहीं चल रहे. जिसके बाद मजदूर अपने घर की तरफ पैदल ही निकल पड़े है. अब ऐसे में उनके पास न तो खाने के लिए खाना है और न ही पीने के लिए पानी.
भरतपुर के नेशनल हाइवे 21 पर ऐसे हजारों की संख्या में मजदूर है जो बीकानेर से, तो कोई जयपुर, सीकर, से पैदल अपने घरों की तरफ जा रहे है. इस स्थिति में भरतपुर शहर के समाजसेवियों की तस्वीर सामने आई है. जो अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे मजदूरों के लिए खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं.
ऐसे ही कुछ लोग नेशनल हाइवे 21 पर मिले जो जयपुर से गोरखपुर के लिए निकले हैं. उन्होंने बताया कि वे 3 दिन पहले जयपुर से निकले है और जयपुर से भरतपुर की दूरी 180 किलोमीटर है और भरतपुर से गोरखपुर की दूरी 660 किलोमीटर है. अब ऐसे में मजदूरों के सामने ये समस्या खड़ी हो गई है कि वे घर कैसे जाए. उनके साथ उनके छोटे छोटे बच्चे भी है. जो चल नहीं सकते, लेकिन इस महामारी के डर के कारण सभी को एक ही डर है कि वह अपने घर कैसे पहुंचे. हालांकि जिला प्रशाशन भी पलायन कर रहे मजदूरों पर नजर बनाये हुआ है.
शनिवार को जिला कलेक्टर नथमल डिडेल ने नेशनल हाइवे का दौरा किया और जो भी मजदूर पैदल आ रहे है उनसे बात की. इस दौरान कुछ समाजसेवियों की ओर से मजदूरों को खाना बांटा जा रहा था. वहां पर जिला कलेक्टर ने अपने हाथों से मजदूरों को खाना बांटा और बताया कि कोरोना महामारी से बचने के लिए दो उपाय है. एक तो संक्रमण से कैसे बचा जाए और बीमार है उसका कैसे इलाज किया जाए.