भरतपुर.विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान लंबे समय से जलसंकट की समस्या झेल रहा है. बीते वर्ष को छोड़ दें तो कई वर्षों से करौली जिले के पांचना बांध का पानी घना को मिलना बंद हो गया. वहीं, अन्य नदियों से मिलने वाला प्राकृतिक पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि घना में पक्षियों को आकर्षित करने और उन्हें यहां रोके रखने के लिए शहरवासियों के हिस्से के चंबल से मिलने वाले पेयजल का उपयोग करना पड़ रहा है.
शहरवासियों को भी इस कारण दो-तीन दिन की पानी कटौती का सामना करना पड़ रहा है. केवलादेव घना (Water Crisis in Keoladeo National Park) को सीजन में करीब 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत रहती है. इसके लिए घना प्रशासन चंबल और गोवर्धन ड्रेन से पानी की जरूरत पूरी करता है. कुछ जरूरत बरसात के पानी से पूरी होती है.
घना के लिए संजीवनी है पांचना का पानी :पर्यावरणविद भोलू अबरार ने बताया कि कई साल पहले तक घना को पांचना बांध का पानी बरसात के मौसम में नियमित और अच्छी मात्रा में मिलता था. पांचना के पानी के साथ ही पक्षियों के लिए जरूरी फूड (मछली, वनस्पति आदि) भरपूर मात्रा में घना पहुंचता था, जिसे पक्षी खूब पसंद करते. इससे घना में अच्छा हैबिटेट तैयार होता था. कुल मिलाकर घना के लिए पांचना बांध का पानी संजीवनी के समान है.
पिछले वर्ष अच्छी बरसात हुई तो घना को पांचना से करीब 250 एमसीएफटी पानी मिला था. इसी का परिणाम है कि गत वर्ष घना में सैकड़ों की संख्या में पेलिकन समेत अन्य पक्षी में पहुंचे. कई वर्षों बाद फ्लेमिंगो की संख्या में भी इजाफा हुआ. घना को पानी की पूर्ति करने के लिए इस बार गर्मियों में भी शहर के पेयजल सप्लाई को तीन दिन के लिए रोका गया है, ताकि घना में ब्रीडिंग के लिए आए ओपन बिल स्टोर्क, पेंटेड स्टोर्क, ई-ग्रेट आदि पक्षियों को पानी मिल सके और वो ठहराव कर सकें.
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इन नदियों से मिलता था पानी :पर्यावरणविद भोलू अबरार ने बताया कि पहले घना को बाणगंगा नदी, पांचना बांध और गम्भीरी नदी और रूपारेल से पानी मिलता था. लेकिन धीरे-धीरे घना को नदियों का प्राकृतिक पानी मिलना बंद हो गया. ऐसे में घना को जिंदा रखने के लिए चंबल और गोवर्धन ड्रेन से पानी का विकल्प निकालना पड़ा. लेकिन गोवर्धन ड्रेन के पानी में जगह जगह कचरा भी मिलता है. बरसात के मौसम में घना को साफ पानी उपलब्ध कराने का प्रयास रहता है, फिर भी प्रदूषण के कारण पानी में नेचुरल फ़ूड और मछलियां भी नहीं आती. इसलिए ये पानी भी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहा.