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Published : Aug 8, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 10:52 PM IST

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SPECIAL: भरतपुर के 160 आयुर्वेदिक अस्पतालों में 2 महीने तक ठप रही उपचार सुविधाएं

कोरोना संक्रमण काल में दो महीने के लॉकडाउन के वक्त जिले के 160 चिकित्सालयों में उपचार सुविधाएं पूरी तरह से ठप पड़ गई. मजबूरन मरीज दवाइयां निजी दुकानों से महंगे दाम पर खरीदते रहे. इतना ही नहीं पंचकर्म जैसी आयुर्वेद की महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधाएं तो अभी तक शुरू नहीं हो पाई.

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ठप रहीं उपचार सुविधाएं...

भरतपुर. कोरोना संक्रमण काल में 2 महीने के लॉकडाउन समय में जिले के 160 चिकित्सालयों में उपचार सुविधाएं पूरी तरह से ठप पड़ गई. चिकित्सक कोरोना की ड्यूटी पूरी कर अस्पतालों में वापस लौटे तो दवाइयों की कमी से जूझना पड़ा. हालात यह रहे कि महीनों तक मरीजों को आयुर्वेदिक अस्पतालों में औषधियां उपलब्ध नहीं हो पाई. मजबूरन मरीज निजी दुकानों से महंगे दामों पर औषधियां खरीदते रहे. इतना ही नहीं पंचकर्म जैसी आयुर्वेद की महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधाएं तो अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. ईटीवी भारत ने जब आयुर्वेदिक विभाग में व्यवस्थाओं का जायजा लिया तो यह चौंकाने वाले हालात सामने आए.

दरअसल, देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रदेश स्तर पर लॉकडाउन लगाया गया. जिसके बाद आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीजों की आवाजाही पर पूर्णविराम लग गया. लेकिन जून के महीने में सरकार द्वारा अनलॉक की प्रकिया के बाद से एक बार फिर इन अस्पतालों में मरीजों की आवाजाही शुरू हो गई है.

अस्पताल में ठप उपचार सुविधा

आयुर्वेद विभाग के 321 चिकित्साकर्मियों की ड्यूटी

आयुर्वेद विभाग के सहायक निदेशक डॉ. संजीव तिवारी ने बताया कि विभाग के 155 चिकित्सक और 166 नर्सिंगकर्मियों की कोरोना संक्रमण के दौर में अलग-अलग ड्यूटी लगाई गई. विभागीय चिकित्साकर्मी कोरोना काल में सर्वे कार्य से लेकर अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवा में जुटे रहे. ऐसे में करीब 2 महीने (9 अप्रैल से जून) तक पूरे जिले में आयुर्वेदिक चिकित्सालय में उपचार सुविधाएं ठप रहीं.

ड्यूटी पर लौटे तो औषधियों का टोटा

आयुर्वेद विभाग के सहायक निदेशक डॉ. संजीव तिवारी ने बताया कि मध्य जून में अधिकतर आयुर्वेदिक चिकित्साकर्मियों की कोरोना से ड्यूटी हटाकर अपने मूल चिकित्सालय में लगा दी गई. इससे सामान्य बीमारियों के मरीज फिर से आयुर्वेदिक चिकित्सालय में लौटने लगे. लेकिन बीते कई महीने तक आयुर्वेदिक चिकित्सालय में औषधियों की काफी कमी रही. विभाग के ही सेवानिवृत्त कर्मचारी गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि उन्हें महत्वपूर्ण दवाइयां तक अस्पताल से नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में मजबूरन मरीजों को निजी दवाई दुकानों से पैसे खर्च कर औषधियां खरीदनी पड़ रही हैं.

पंचकर्म की सुविधा अब तक शुरू नहीं

भरतपुर के सबसे बड़े आयुर्वेदिक जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए पंचकर्म की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन कोरोना काल में यह सुविधा पूरी तरह से बंद रही. इतना ही नहीं अनलॉक होने के बावजूद आयुर्वेदिक जिला अस्पताल में अब तक पंचकर्म की चिकित्सा सुविधा को फिर से शुरू नहीं किया जा सका है. ऐसे में तमाम बीमारियों के मरीजों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा.

किसी तरह की सुविधाएं नहीं मौजूद

6 माह के लिए 42 हजार की औषधियां

आयुर्वेदिक जिला अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी (पीएमओ) डॉ. नरेश तिवारी ने बताया कि बीते कई माह से अस्पताल में महत्वपूर्ण औषधियों की कमी चल रही थी. लेकिन शुक्रवार को ही रसायनशाला से 42 हजार 327 रुपए कीमत की औषधियों की अस्पताल में सप्लाई कर दी गयी है. लेकिन इन औषधियों से अगले करीब 6 माह तक काम चलाना पड़ेगा.

  • जिले में 'बी' श्रेणी आयुर्वेदिक चिकित्सालय -132
  • जिले में आयुर्वेदिक सीएचसी- 11
  • जिले में आयुर्वेदिक पीएचसी- 11
  • जिले में कुल आयुर्वेदिक चिकित्सालय-160
  • जिले में कुल आयुर्वेदिक चिकित्सक- 155
  • जिले में कुल आयुर्वेदिक नर्सिंगकर्मी/कंपाउंडर- 166

आयुर्वेदिक जिला अस्पताल में ओपीडी

महीना नए मरीज पुराने मरीज

  • मई 2901 19102
  • जून 2781 19407
  • जुलाई 2984 20474
Last Updated : Aug 8, 2020, 10:52 PM IST

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