भरतपुर. जिल में विगत दिनों हुई ओलावृष्टि से किसान इतने आहत हैं कि वह अब फसल खराबे के बाद मौत को गले लगा रहे हैं. जिले में रविवार को तीसरे किसान ने आत्महत्या कर ली. प्रकृति की मार ने किसानों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है. किसान फसल को खड़ी करने में खून पसीना और जमा पूंजी खर्च कर देता है, इसके अलावा किसान को कर्ज तक लेना पड़ता है और वह फसल देखते ही देखते तबाह हो जाती है.
एक और किसान ने की खुदकुशी जिले के जिरौली गांव में रविवार को एक और किसान ने आत्महत्या कर ली. मृतक किसान मुकेश के पास 1 बीघा जमीन थी और 5 बीघा उसने बटाई में खेती की थी. मुकेश ने खेतों में सरसों और गेहूं की फसल बोई थी. ओलावृष्टि के बाद से ही मुकेश काफी आहत था. इसके अलावा मुकेश पर करीब 2 लाख रुपए का कर्ज भी था और फसल खराबे के बाद कर्जदार भी उसे कर्जा वापस करने के लिए जोर डाल रहे थे.
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इन सब से परेशान होकर मुकेश ने रविवार को घर से खेत पर जाने की बात कह कर घर से निकला और खेत पर जाकर फांसी लगा ली. फांसी लगाने के कुछ देर बाद वहां से कुछ राहगीर निकले तो उन्होंने मुकेश को एक पेड़ से लटका देखा. ग्रामीणों ने घटना की सूचना परिजनों को दी. फिलहाल, मुकेश के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया है. ग्रामीणों का कहना है, कि फसल खराबे के बाद वह काफी डिप्रेशन में था.
बता दें कि भरतपुर में कुछ दिनों पहले फुलवारा गांव में ओलावृष्टि से फसल खराबे के बाद गुलाब सिंह नाम के एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी. वहीं, रविवार को जिले नगला उपटेला गांव में एक और किसान सुरेश ने मौत को गले लगा लिया. सुरेश भी फसल खराबे से काफी आहत था और उसपर कर्ज भी था.