भरतपुर.इन दिनों शहर में लाखों करोड़ों मक्खियों ने कई गांव वालों का जीना मुश्किल कर रखा है. वहीं ग्रामीण न चैन से खाना खा सकते और न ही शांति से अपने घर में बैठ सकते हैं. मक्खियों के वजह से ग्रामीण बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.
मक्खियों के आतंक से ग्रामीणों का जीना हुआ मुश्किल बता दें कि भरतपुर नगर निगम के ओर से संचालित कचरा प्लांट नौह गांव में स्थित है. जहां शहर से रोजाना करीब 150 ट्रैक्टर-ट्राली कचरा उस कचरा गृह में डाला जाता है. वहीं खुले में खेतों के बीच सड़क पर ही रोजाना कचरा डाला जाता है. जहां गंदगी से मक्खियां लाखों करोड़ों की संख्या में वहां मंडराती हैं.
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वहीं चारों तरफ बसे करीब पांच गांव के अंदर ये मक्खियां दिन रात ग्रामीणों के घरों में मंडराती रहती हैं. मक्खियों का जमावड़ा उनके खाने, पीने के सामान सहित सभी जगहों पर लगा रहता है. मक्खियों के आतंक से ग्रामीण इतने परेशान है की वे गांव छोड़ने को मजबूर हैं, लेकिन गांव को छोड़कर जाए तो जाए भी कहां. इसलिए ग्रामीण मक्खियों के आतंक के साये में ही जीने को मजबूर हैं.
बता दें कि भारी मात्रा में रोजाना डाले जाने वाले कचरे से प्लास्टिक की थैलियां और गंदगी उनके खेतों में हवा के साथ उड़कर चली जाती है. जिससे खेतों की फसल भी नष्ट हो जाती है. वहीं यह परेशानी इतनी बढ़ गई है कि उनकी कृषि भूमि भी बंजर होती जा रही है, जिससे आगामी समय में फसल पैदा होना भी असंभव प्रतीत होता जा रहा है.
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वहीं कचरे से आने वाली बदबू भी लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत है. साथ ही कचरा घर हटाने की मांग को लेकर ग्रामीण कई बार चक्का जाम कर आंदोलन कर चुके हैं. आये दिन विरोध प्रदर्शन भी करते है. वहीं नगर निगम की कचरे से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को वहां जाने से बंद कर देते हैं. लेकिन फिर भी उन्हें मक्खियों के कहर से छुटकारा नहीं मिला है.
नगर निगम की माने तो शहर से रोजाना करीब 150 से 200 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां नौह स्थित कचरा घर में डाली जाती है. साथ ही वहां कचरा खुले में ही सड़क किनारे डाला जाता है. यहां कचरे के निस्तारण के लिए किसी भी प्रकार का प्लांट निगम के ओर से नहीं लगाया गया है. न ही कचरे को इकठ्ठा करने के लिए बाउंडरी वॉल बनाई गई है, जिससे कचरा उड़कर खेतों में न जाए.