राजस्थान

rajasthan

बलिदान दिवस: ब्राह्मण कन्या की इज्जत बचाने के लिए महाराजा सूरजमल ने कर दिया था खुद का बलिदान!

By

Published : Dec 25, 2019, 2:01 PM IST

भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल का 25 दिसंबर को 256वां बलिदान दिवस मनाया जा रहा है. अपने जीवन काल में 80 युद्ध लड़ने वाले और किसी भी युद्ध में पराजित ना होने वाले महाराजा सूरजमल ने एक ब्राह्मण कन्या की इज्जत बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया था. महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस पर ईटीवी भारत के साथ भरतपुर के इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने ऐसे ही कुछ इतिहास के तथ्यों को साझा किया...देखिए भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट..

maharaja surajmal, sacrifice day of maharaja surajmal
महाराजा सूरजमल का 256वां बलिदान दिवस

भरतपुर.महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को डीग के महलों में हुआ. उनके पिता राजा बदन सिंह और माता देवकी थीं. इतिहास में राजपूत राजाओं के बीच अकेले जिस जाट महाराजा की वीरों में गिनती रही है. वो हैं जाट राजा सूरजमल. स्वतंत्र हिन्दू राज्य बनाने का सपना देखने वाला ये राजा कभी मुगलों के सामने नहीं झुका. इतिहासकार रामवीर वर्मा के मुताबिक महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन काल में कुल 80 युद्ध लड़े और सभी युद्ध उन्होंने जीते. उनके राजनैतिक जीवन का प्रारंभ मात्र 14 वर्ष की आयु में हो चुका था.

महाराजा सूरजमल का 256वां बलिदान दिवस
भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल


25 दिसंबर 1763 को महाराजा सूरजमल दिल्ली के इमाद नजीबुद्दौला के साथ लड़े गए युद्ध में धोखे से किये गए हमले में वीरगति को प्राप्त हो गए. इतिहासकार रामवीर सिंह के मुताबिक कुछ लोग तो महाराजा सूरजमल को हिंदू सम्राटों का कनिष्क तक कहते हैं.

महाराजा सूरजमल स्मारक, भरतपुर

दिल्ली के सेनापति ने किया था हिंदू कन्या का अपहरण
इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने हरियाणा के इतिहासकार दिलीप अहलावत की पुस्तक का जिक्र करते हुए बताया, कि दिल्ली के वजीर के सेनापति ने अपने हरम में रखने के लिए एक ब्राह्मण कन्या का अपहरण कर लिया था. ब्राह्मण कन्या ने बड़ी ही चालाकी से सेनापति से सोचने के लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी और मौका पाकर हिंदू कन्या ने भरतपुर के महाराजा सूरजमल सिंह को एक पत्र लिखा. पत्र में महाराजा सूरजमल से खुद की इज्जत और धर्म की रक्षा करने की गुहार लगाई.

महाराजा सूरजमल की अंतिम यात्रा

पढ़ें- इस सीन पर चल रहा है फिल्म 'पानीपत' का विरोध...असली कहानी सुनिए भरतपुर के इतिहासकार की जुबानी

पत्र पाकर सूरजमल ने कर दिया दिल्ली पर हमला
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया, कि ब्राह्मण कन्या का पत्र पाकर और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए महाराजा सूरजमल ने दिल्ली के वजीर नजीबुद्दौला पर हमला बोल दिया. उसके बाद करीब करीब दिल्ली को फतह करने के बाद महाराजा सूरजमल अपने सेनापतियों के साथ परामर्श करने के लिए हिंडन नदी के किनारे गए, जहां दुश्मन की सेना घात लगाए बैठी हुई थी. दुश्मन की सेना ने अचानक महाराजा सूरजमल पर हमला कर दिया और वह शहीद हो गए.

महाराजा सूरजमल का बलिदान दिवस

पढ़ें- पानीपत फिल्म विवाद के बाद विकिपीडिया पर महाराजा सूरजमल के व्यक्तित्व को किया गया अपडेट, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

महाराजा सूरजमल की अंतिम यात्रा
महाराजा सूरजमल की अंत्येष्टि भगवान श्री कृष्ण की पवित्र भूमि गोवर्धन में हुई थी, बाद में वहां पर कुसुम सरोवर ताल और एक छतरी का निर्माण किया गया. ये वास्तुकला का एक सुंदर और बेहतरीन नमूना है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: खानवा के मैदान में ही राणा सांगा को लगे थे 80 घाव...आज भी देखी जा सकती है गोला-बारूद से छलनी पहाड़ी

बेटे ने दिल्ली फतह कर लिया बदला
महाराजा सूरजमल की वीरगति का बदला बाद में उनके वीर पुत्र जवाहर सिंह ने दिल्ली फतह कर लिया था. महाराजा जवाहर सिंह दिल्ली को फतह करने के साथ ही लाल किले में लगा चित्तौड़गढ़ का दरवाजा उखाड़ कर ले आए और उसे लोहागढ़ के किले में लगा दिया गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details