भरतपुर. खुद को महाराणा प्रताप के सिपाही कहने वाले और घुमक्कड़ जीवन जीने वाले गाड़िया लोहारों को अक्सर हम सड़क के किनारे हथोड़ा चलाकर दराती, खुरपी बनाते देखते हैं. वहीं, पास ही में उनके परिजन और बच्चे भी उस मैले कुचैले परिवेश में खेलते और जीवन यापन करते हुए नजर आ जाते हैं.
लेकिन, भरतपुर में निवास कर रहे कुछ गाड़िया लोहारों के बच्चे ना तो हथोड़ा चलाते हैं और ना ही दराती खुरपी बनाते हैं, बल्कि इनके बच्चे अब शिक्षित समाज के बच्चों की तरह ही फर्राटेदार अंग्रेजी और संस्कृत बोलते हुए नजर आते हैं. शहर के कुछ भामाशाह और जागरूक लोगों की एक पहल के कारण यह संभव हो पाया है.
शहर के रनजीत नगर स्थित उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर और उद्यान मोहल्ला स्थित आदर्श विद्या मंदिर में शहर के गाड़िया लोहारों के करीब 52 बच्चे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विद्यालय के प्रधानाचार्य संतोष कटारा ने बताया कि 3 आदर्श विद्यालयों में 52 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिया जा रहा है. साथ ही इनमें से करीब 18 बच्चों को विद्यालय के हॉस्टल में ही रहने की भी निःशुल्क सुविधाएं प्रदान की जा रही है.
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गाड़िया लोहार प्रकल्प के अध्यक्ष शंकरलाल अग्रवाल ने बताया कि एक बार शहर के ही गाड़िया लोहार के बच्चों को सड़क के किनारे खेलते हुए देखा. उनको शिक्षा दिलाने का विचार मन में आया और उसके बाद वर्ष 2012 में बच्चों के परिजनों को समझा कर कुछ बच्चों को रनजीत नगर स्थित आदर्श विद्या मंदिर में दाखिला दिलाया. इस मुहिम के कारण अब तक 3 आदर्श विद्या मंदिरों में गाड़िया लोहारों के 52 बच्चों को शिक्षा से जोड़ चुके हैं.