भरतपुर.सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में तैयार किए जा रहे सरसों और राई के उन्नत किस्म के बीज अब देशभर में अपनी धाक जमा रहे हैं, साथ ही निदेशालय के कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों की मेहनत के चलते अब देश के उत्तरी - पूर्वी राज्यों में सरसों का रकबा भी बढ़ने लगा है.
पूर्वोत्तर के इन राज्यों में बढ़ा रहे सरसों की पैदावार
सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि यूं तो देश भर के 17 राज्यों में सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बीते 10 वर्षों से पूर्वोत्तर के आसाम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय आदि राज्यों में विशेष रुप से अभियानस्तर पर कार्य किया जा रहा है. पूर्वोत्तर समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड आदि राज्यों में धान की कटाई के बाद 11 मिलीयन हेक्टेयर भूमि खाली रहती है. खाली जमीन में स्थानीय किसान तोरिया की फसल करते हैं, लेकिन निदेशालय का प्रयास है कि इस भूमि में ज्यादा मुनाफा देने वाली सरसों की पैदावार बढ़ाई जाए. इसी के तहत इन राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है.
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पूर्वोत्तर के लिए तैयार की सरसों की नई किस्म
निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि अमन भारतीय सरसों/राई की फसल 135 से 145 दिन में पककर तैयार होती है, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों की जरूरत कम अवधि में पकने वाली सरसों की थी. ऐसे में निदेशालय ने सरसों की कुछ ऐसी किस्में तैयार की है जो कि कम अवधि में पककर तैयार हो जाती हैं. यह किस में अब पूर्वोत्तर के राज्यों में किसानों द्वारा काफी पसंद की जा रही हैं. वहीं निदेशालय द्वारा इसमें अभी भी ऐसी और नई किस्म तैयार करने के प्रयास जारी हैं कि जिनके पकने की अवधि को और कम किया जा सके.