भरतपुर. आरक्षण की मांग को लेकर बीते 48 घंटे से जयपुर आगरा हाईवे पर आंदोलन (Reservation Movement in Bharatpur) कर रहे सैनी समाज के प्रतिनिधिमंडल को मंगलवार सुबह मंत्री विश्वेंद्र सिंह और संभागीय आयुक्त से वार्ता करनी थी. मंत्री विश्वेंद्र सिंह और संभागीय आयुक्त समेत तमाम अधिकारी संभागीय आयुक्त कार्यालय में सुबह 11 बजे तक प्रतिनिधिमंडल का इंतजार करते रहे, लेकिन वार्ता के लिए कोई भरतपुर नहीं पहुंचा.
मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा है कि मुझे लगता है समाज में बात करने के लिए कोई नेता ही नहीं है. यदि कोई नेता है तो वार्ता के रास्ते खुले हैं. बात करने के लिए आएं. मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि सैनी समाज को जयपुर-आगरा हाईवे पर आंदोलन करते हुए 48 घंटे हो गए हैं. आम जनता परेशान हो रही है. सरकार ने अपनी तरफ से सारे प्रयास कर लिए हैं. पहले सैनी समाज की मांग थी कि मंत्री विश्वेंद्र सिंह अधिकृत नहीं हैं. अब राजस्थान सरकार ने मुझे और संभागीय आयुक्त को अधिकृत भी कर दिया. आज सैनी समाज का प्रतिनिधि मंडल वार्ता के लिए आने वाला था. खुद संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी ने लिस्ट बनाकर भेजी. मुरारी लाल सैनी का कहना है कि मैंने इनको अधिकृत कर दिया है लेकिन मैं खुद वार्ता करने नहीं आऊंगा.
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विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि वार्ता के लिए सैनी समाज के सामने कैबिनेट मंत्री बैठा है, जोकि राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री को रिप्रेजेंट कर रहा है. उसके बावजूद इनका इस तरह का एटीट्यूड रहेगा, तो उसका जिम्मेदार कौन रहेगा. मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि हम अभी तक चुप बैठे हैं, लेकिन लकड़ी को ज्यादा मोड़ेंगे तो टूट जाएगी और हम वो स्टेज लाना नहीं चाहते.
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मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सैनी, कुशवाहा, शाक्य मौर्य सभी समाजों से विनम्र अपील करते हुए कहा कि आप भरतपुर आएं और पूरी मीडिया के सामने निडर होकर वार्ता करें ताकि आम आदमी को राहत मिल सके और हम आपकी बात आगे पहुंचा सकें. उन्होंने कहा कि मुझे तो अब लगता है इनमें कोई लीडर है ही नहीं. यदि मुरारी लाल लीडर बन रहे हैं तो बात करने आना चाहिए, दिक्कत क्या है. मंत्री विश्वेंद्र ने कहा कि 45 डिग्री तापमान में वहां बुजुर्ग और महिलाएं बैठे हैं. यदि किसी को दिक्कत हो गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. मुरारी जी होंगे ? मंत्री विश्वेंद्र ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि जिले में शांति लाएं. अभी तक वो शांति से बैठे हैं इसलिए उन्हें भी नहीं छेड़ा. लेकिन हम भी उनकी पीड़ा सुनना चाहते हैं, वो आएं तो सही.