बेमौसम बरसात का कहर : 4 जिलों में 89 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुवाई बर्बाद, 54 करोड़ का नुकसान...
संभाग में तेज बारिश के कारण रबी फसल की बुवाई बर्बाद हो गई है. कई क्षेत्रों में सरसों की बुवाई दोबारा (Rain ruined Mustard sowing in Bharatpur) करने की नौबत आ गई है. इससे अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और करौली में किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है. जिसके बाद दोबारा बुवाई के लिए भी कम से कम किसानों को 15 दिन का इंतजार करना पड़ेगा.
Rain ruined Mustard sowing in Bharatpur
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Published : Oct 10, 2022, 7:41 PM IST
भरतपुर.संभाग का किसान खरीफ फसल के नुकसान से उबरा भी नहीं था कि अब बेमौसम बरसात से रबी फसल की (Rabi crops affected due to Rain) बुवाई भी बर्बाद हो गई है. बेमौसम बरसात के चलते किसानों के खेत लबालब भर गए हैं. इससे सरसों की बुवाई पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. अब किसानों को खेतों में दोबारा से बुवाई करनी पड़ेगी. वहीं, बरसात की वजह से किसान को बुवाई के लिए अब भी करीब 15 दिन और इंतजार करना पड़ेगा.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और करौली में तेज (Rabi Crops sown in Bharatpur Division) बरसात हुई है. इन सभी जिलों में किसान 89,344 हेक्टेयर में सरसों की बुवाई कर चुका है. तेज बरसात के चलते जिन खेतों में बीज अंकुरित नहीं हुआ और खेतों में पानी भर गया है, उनमें दोबारा बुवाई करनी पड़ेगी. संभाग के चार जिलों में अधिकतर ऐसे ही हालात हैं. धौलपुर में किसान बुवाई नहीं कर पाया.
किसानों को करोड़ों का नुकसान :सामान्य तौर पर 1 हेक्टेयर में सरसों की बुवाई (Heavy rain in Bharatpur) के लिए किसान को खाद, बीज, जुताई आदि पर कम से कम 6000 हजार रुपए का खर्चा करना पड़ता है. ऐसे में सभी जिले में बरसात के चलते अधिकतर किसानों को दोबारा बुवाई करनी पड़ेगी. अनुमान है कि बरसात की वजह से पांचों जिलों के किसानों को करीब 54 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है. अब दोबारा से बुवाई के लिए फिर से इतना खर्चा करना पड़ेगा.
कम समय में तैयार होने वाला बीज बोएं :सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय ने (Rain ruined Mustard sowing in Bharatpur) बताया कि अभी सरसों की फसल की बुवाई के लिए 30 अक्टूबर तक का समय अनुकूल है. सरसों की फसल को पककर तैयार होने के लिए करीब 140 दिन का समय चाहिए. किसान सरसों के बीज का चुनाव करते समय ध्यान रखें कि ऐसा बीज इस्तेमाल किया जाए, जो कम समय में पककर तैयार हो जाए. डॉ. पीके राय ने बताया कि 30 अक्टूबर तक यदि बुवाई हो जाती है तो भी चिंता की बात नहीं है. हालांकि मार्च माह में यदि गत वर्ष की तरह एकदम से तापमान बढ़ा तो फसल के उत्पादन पर असर पड़ सकता है.
रोग का खतरा :वहीं, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह का कहना है कि सरसों की बुवाई में देरी होने से उत्पादन पर तो असर पड़ेगा ही, साथ ही सर्दी और कोहरे के समय सफेद टेंट और अन्य रोग लगने की आशंका भी रहेगी.
तेज बारिश से बाजरे की भी फसल हुई थी बर्बाद : सितंबर माह में हुई तेज बरसात के चलते संभाग के सभी जिलों के किसानों की बाजरे की फसल बर्बाद हो गई थी. अब बेमौसम बरसात ने संभाग के किसानों की सरसों की बुवाई को बर्बाद कर दिया है.