भरतपुर.कोटा के जेके लोन अस्पताल में अबतक 107 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस घटना से चिकित्सा महकमा और राज्य सरकार दोनों ही सकते में है, लेकिन फिर भी अस्पतालों के एनआईसीयू के हालात नहीं सुधारे जा रहे हैं. भरतपुर संभाग के सबसे बड़े जनाना अस्पताल के एनआईसीयू में भी हालात बदतर बने हुए हैं. सुविधा और जीवनदायी उपकरणों की मरम्मत के लिए तरस रहे जनाना अस्पताल के एनआईसीयू में बीते 1 साल में 114 नवजात जान गंवा चुके हैं.
साल 2019 में नवजातों की मौत के आंकड़े
- जनवरी में 143 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 10 की मौत.
- फरवरी में 138 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 7 की मौत.
- मार्च में 140 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 5 की मौत.
- अप्रेल में 140 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 3 की मौत.
- मई में 206 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला ,14 की मौत.
- जून में 192 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 5 की मौत.
- जुलाई में 252 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 13 की मौत.
- अगस्त में 297 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 13 की मौत.
- सितंबर में 239 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 7 की मौत.
- अक्टूबर में 211 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 10 की मौत.
- नवंबर में 195 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 9 की मौत.
- दिसंबर में 205 नवजातों को एनआईसीयू एडमिशन मिला, 18 की मौत.
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ईटीवी भारत की टीम ने जब एनआईसीयू के हालातों का जायजा लिया तो हालात चौंकाने वाले थे. यहां कई महत्वपूर्ण उपकरण खराब मिले तो वहीं एनआईसीयू में आपातकालीन निकासी के लिए कोई व्यवस्था भी नजर नहीं आई. हालात यह है, कि कई समस्याओं के समाधान के लिए चिकित्सकों ने जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार पत्र भी लिखा है, लेकिन अब भी हालात जस के तस हैं.
वार्मर और वेंटिलेटर खराब
शिशु रोग विभाग के कार्यवाहक विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु गोयल ने बताया, कि एनआईसीयू में 25 वार्मर में से 7 वार्मर खराब हैं. इसी तरह 4 वेंटिलेटर में से 2 खराब हैं, 1 एबीजी मशीन है, वो भी खराब है. इतना ही नहीं एनआईसीयू में भर्ती नवजातों के कपड़े को संक्रमण मुक्त करने के लिए उपलब्ध एकमात्र आटोक्लेव मशीन भी खराब पड़ी है. एनआईसीयू की छत भी कई जगह से क्षतिग्रस्त है, जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकती है.