भरतपुर.राजस्थान में सियासी हलचलों का दौर तेज है. इस बीच चर्चा है कि राजस्थान का मुख्यमंत्री भी बदला जा सकता है. ऐसे में भरतपुर संभाग पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. पूर्वी राजस्थान को सचिन पायलट समर्थकों का गढ़ माना जाता है. लेकिन मौजूदा हालात ये हैं कि यहां के तमाम विधायक अशोक गहलोत के खेमे में हैं. यदि प्रदेश में मुख्यमंत्री बदला जाता है, तो पूर्वी राजस्थान के कई विधायकों का कद बढ़ सकता है, तो कई कमजोर पड़ सकते (Effect of new CM in Rajasthan) हैं.
भरतपुर में सियासी हालात: भरतपुर की बात करें तो 7 विधायकों में से दो कैबिनेट मंत्री ( विश्वेन्द्र सिंह व भजनलाल जाटव) दो राज्य मंत्री (सुभाष गर्ग व जाहिदा खान) और बसपा से कांग्रेस में आए दो अन्य विधायकों ( जोगिंदर अवाना व वाजिब अली) को राज्य मंत्री के बराबर का दर्जा मिला हुआ है. इनमें से अधिकतर विधायकों ने सियासी संकट के दौर में अशोक गहलोत का साथ दिया (Gehlot था. मंत्री विश्वेंद्र सिंह पहले सचिन पायलट खेमे में थे, लेकिन बाद में गहलोत के साथ मजबूती से खड़े हुए. ऐसे में कहा जा सकता है कि भरतपुर में मौजूदा हालात में अधिकतर विधायक अशोक गहलोत खेमे में हैं.
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मलिंगा और बैरवा पर नजर: धौलपुर में 4 में से 3 विधायक कांग्रेस के हैं. जबकि भाजपा के टिकट से विधायक बनी शोभा रानी कुशवाहा भी बीते दिनों भाजपा से नाता तोड़ चुकी हैं. बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से गहलोत से खफा हैं और खुले तौर पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी भी कर चुके हैं. वहीं बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा डिस्कॉम के एईएन से मारपीट मामले के बाद से मुख्यमंत्री से अंदर खाने नाराज हैं. चर्चा यह भी है कि मलिंगा ने सचिन पायलट से सारे गिले शिकवे भी दूर कर लिए हैं. वहीं करौली विधायक रमेश मीणा, पायलट खेमे के माने जाते हैं. मानेसर घटनाक्रम के समय रमेश मीणा पायलट खेमे में थे. लेकिन मंत्रिमंडल फेरबदल में गहलोत ने मीणा को तवज्जो दी.