भरतपुर.कोरोना संक्रमण काल में गरीबों और जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से हाथ बढ़ाए गए. लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली अनुग्रह राशि जरूरतमंदों तक पहुंचने के बजाय अपात्र लोगों तक पहुंच गई.
जिले के डीग नगर पालिका क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें क्षेत्र के सरकारी कर्मचारियों के बच्चों और फर्जी लोगों के नाम से 2500-2500 रुपए की अनुग्रह राशि जारी कर दी गई. जबकि आर्थिक रूप से कमजोर गरीब तबके के लोग मदद के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
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डीग कस्बे के वार्ड नंबर 2 के धर्मवीर सिंह ने बताया कि अनुग्रह राशि में गड़बड़ी की आशंका के चलते नगर पालिका से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी निकाली. जिसमें कई अपात्र लोगों को भी लाभ लेने की जानकारी मिली. इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की गई, जिसकी जांच में 93 अपात्र लोगों के लाभांवित होने की जानकारी मिली.
नगरपालिका कर्मचारी के बच्चों को बना दिया पात्र
आरटीआई में मिली जानकारी में सामने आया कि गुड्डी पत्नी महेश को योजना के तहत 2500 रुपए की अनुग्रह राशि मिली. लेकिन महेश का पिता और गुड्डी का ससुर नगरपालिका से सेवानिवृत्त कर्मचारी है. ऐसे में गुड्डी इस योजना के लिए अपात्र पाई गई. इसी प्रकार नीलम, सरिता यादव, भानु प्रताप, अमित और गजेंद्र कुमार सैनी भी सरकारी कर्मचारियों के बच्चे हैं, जो कि नियमानुसार अपात्र पाए गए.