भरतपुर.कोरोना काल ने सारी व्यवस्थाएं चौपट कर रखी हैं. बीते एक साल में जहां लोग बीमारी से परेशान हैं तो वहीं खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से रसोईं का बजट भी बिगड़ गया है. रोजमर्रा प्रयोग की जाने वाली आवश्यकताओं में सरसों के तेल के दाम दोगुना बढ़ गए हैं. सरसों तेल के व्यवसाय के आंकड़ों की माने तो अकेले भरतपुर जिलेवासियों की जेब पर गत वर्ष की तुलना में इस बार हर माह सरसों के तेल की बढ़ी हुई कीमतों के चलते करीब साढ़े 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ गया है. सरसों तेल के चढ़ते दामों में उछाल को लेकर ईटीवी भारत ने विशेषज्ञों से उसकी राय ली.
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इसलिए महंगा हुआ सरसों का तेल
तेल व्यवसाई तारा चंद गोयल ने बताया कि विदेश में सोया ऑयल एवं पाम ऑयल में तेजी के चलते भारत में सरसों के तेल में भी काफी तेजी आई है. विदेश में मजदूरों की समस्या के कारण तेल की कीमतों में तेजी आई है. इसका सीधा असर देश में सरसों के तेल पर पड़ा है. वहीं तेल व्यवसायी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते सरसों तेल की मांग बढ़ी है. सरसों की फसल मंडी में भी दोगुना ज्यादा भाव में बिक रही है. इससे बीते वर्ष के सरसों भाव 80-90 रुपए प्रति लीटर से भाव बढ़कर 170-180 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं
जिले में हर दिन 20 लाख टन खपत
व्यवसायी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि जिले में हर दिन करीब 20 टन सरसों के तेल की खपत हो जाती है. ऐसे में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष हर दिन जिलेवासियों को औसतन सरसों तेल की बढ़ी हुई कीमतों के चलते 18 लाख रुपए हर दिन और करीब साढ़े 5 करोड़ रुपए प्रतिमाह अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है.