भरतपुर. देश में फैली कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा संकट ऐसे मजदूरों पर आया है, जो कि अपने शहरों को छोड़ दूसरे शहरों में मजदूरी किया करते हैं. लॉकडाउन के बाद सभी कारखाने और फैक्ट्रियां बंद होने के बाद मजदूर वर्ग के सामने उनके खाने-पीने की समस्या पैदा हो गई है. जिसके बाद मजदूर अपने घरों की तरफ पलायन करने लगे, लेकिन साधन नहीं होने के कारण मजदूर पैदल और साइकिल के सहारे ही अपने घर जाने को मजबूर हो गए.
अब सबसे बड़ी समस्या मजदूरों के सामने खड़ी है कि उत्तर प्रदेश बॉर्डर पूरी तरह सीज हो चुका है. उत्तर प्रदेश पुलिस अपने राज्य के मजदूरों के अलावा किसी अन्य राज्य के मजदूरों को राज्य में प्रवेश नहीं करने दे रही है. जिसके बाद मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड के मजदूरों के सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई है कि वे अपने घरों तक कैसे जाएं.
बुधवार को चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग आगरा बॉर्डर का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे. जहां बॉर्डर पर समाजसेवियों द्वारा पलायन करने वाले मजदूरों के लिए खाना बनाया जा रहा था. इस दौरान उन्होंने उनसे बातचीत की. साथ ही बॉर्डर पर बने एक शेल्टर होम का भी गर्ग ने निरीक्षण किया. गर्ग ने बताया कि अभी तक 50 से 60 हजार मजदूर राजस्थान से पलायन कर चुके हैं. जिसके लिए भामाशाहों और दानदाताओं और सरकार की ओर से सभी मजदूरों को खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. साथ ही राज्य सरकार की ओर से मजदूरों को बसों से उनके राज्यों तक पहुंचाया जा रहा है.