राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

महाशिवरात्रि पर विशेष: ...एक गाय हर दिन शिवलिंग पर चढ़ाती थी दूध

महाशिवरात्रि पर भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान स्थित प्राचीन मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं. 350 वर्ष पुराने इस अद्भुत केवलादेव शिव मंदिर (Shiv temple in Keoladeo National Park) से जुड़ी किवदंती भी बेहद रोचक है. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Shiv temple in Keoladeo National Park
केवलादेव शिव मंदिर

By

Published : Feb 28, 2022, 6:30 PM IST

Updated : Mar 1, 2022, 6:20 AM IST

भरतपुर.पूरा देश महाशिवरात्रि की तैयारियों में जुटा है. महाशिवरात्रि पर हम भरतपुर के एक ऐसे प्राचीन शिव मंदिर की कहानी लेकर आए हैं जो न केवल विश्वविरासत से जुड़ा है बल्कि उसका अपना एक अलग और रोचक इतिहास भी है. विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण भी इसी शिव मंदिर के नाम पर किया गया है. इतना ही नहीं इस मंदिर (Shiv temple in Keoladeo National Park) की स्थापना करीब 350 वर्ष पूर्व महाराजा सूरजमल ने की थी. इस मंदिर को लेकर एक बहुत ही अनोखी किवदंती भी जुड़ी हुई है जिसकी वजह से इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और गहरी हो जाती है.

पेड़ के नीचे जाते ही गाय के थनों से निकलने लगता दूध..
मंदिर के पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया कि प्राचीन समय में केवलादेव उद्यान जंगल में आसपास के लोग अपने पशु चराने आते थे. एक पशुपालक की गाय जंगल में हर दिन एक केले के पेड़ के नीचे जाकर दूध देने लग जाती थी. उसके थनों से स्वतः दूध निकलने लगता था. एक दिन किसान ने गाय का पीछा किया और स्वयं पूरी घटना देखी.

केवलादेव शिव मंदिर

पढ़ें.Mahashivratri 2022 : महाशिवरात्रि पर एकलिंगेश्वर महादेव के दर्शन नहीं कर सकेंगे भक्त

खोदा तो निकला शिवलिंग
पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया उस समय महाराजा सूरजमल जंगल में शिकार के लिए निकलते थे. एक दिन पशुपालक ने महाराजा सूरजमल को पूरी घटना की जानकारी दी. इस पर महाराजा सूरजमल ने उसी केले के पेड़ के नीचे की जगह को खुदवाया तो उसमें एक शिवलिंग निकला. काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग को जमीन से उखाड़ नहीं पाए. ऐसे में महाराजा सूरजमल ने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कराकर केवलादेव शिव मंदिर का निर्माण करा दिया.

पढ़ें.स्पेशल: राजस्थान में यहां महादेव की ऐसी प्रतिमा, जो दिन में 3 बार बदलती है रंग

मंदिर की वजह से उद्यान का नामकरण
उद्यान के प्रवेश द्वार से करीब 5 किलोमीटर अंदर यह प्राचीन मंदिर स्थित है. जब यह उद्यान सन 1981 में एक उच्च स्तरीय संरक्षण दर्जा प्राप्त राष्ट्रीय पार्क के रूप में स्थापित हुआ और सन 1985 में उद्यान को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया गया. तब इसी मंदिर के नाम पर इस उद्यान का नामकरण केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान किया गया.

पढ़ें.बजरंगबली को सेना ने किया 'कैद', धरने पर बैठे नाराज लोग...जानें क्या है माजरा

पीढ़ियों से कर रहे पूजा
मंदिर के पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया कि उनके परिवार के लोग कई पीढ़ियों से मंदिर में पूजा-पाठ कर रहे हैं. महाशिवरात्रि के दिन आसपास के गांव के लोग हरिद्वार, सोरों जी आदि स्थानों से कावड़ लेकर मंदिर में गंगा जल चढ़ाने आते हैं. आज भी महाशिवरात्रि के दिन लोग यहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते हैं. मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर सच्चे मन से जो भी मांगता है महादेव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

Last Updated : Mar 1, 2022, 6:20 AM IST

For All Latest Updates

ABOUT THE AUTHOR

...view details