भरतपुर.पूरा देश महाशिवरात्रि की तैयारियों में जुटा है. महाशिवरात्रि पर हम भरतपुर के एक ऐसे प्राचीन शिव मंदिर की कहानी लेकर आए हैं जो न केवल विश्वविरासत से जुड़ा है बल्कि उसका अपना एक अलग और रोचक इतिहास भी है. विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण भी इसी शिव मंदिर के नाम पर किया गया है. इतना ही नहीं इस मंदिर (Shiv temple in Keoladeo National Park) की स्थापना करीब 350 वर्ष पूर्व महाराजा सूरजमल ने की थी. इस मंदिर को लेकर एक बहुत ही अनोखी किवदंती भी जुड़ी हुई है जिसकी वजह से इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और गहरी हो जाती है.
पेड़ के नीचे जाते ही गाय के थनों से निकलने लगता दूध..
मंदिर के पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया कि प्राचीन समय में केवलादेव उद्यान जंगल में आसपास के लोग अपने पशु चराने आते थे. एक पशुपालक की गाय जंगल में हर दिन एक केले के पेड़ के नीचे जाकर दूध देने लग जाती थी. उसके थनों से स्वतः दूध निकलने लगता था. एक दिन किसान ने गाय का पीछा किया और स्वयं पूरी घटना देखी.
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खोदा तो निकला शिवलिंग
पुजारी जगपाल नाथ योगी ने बताया उस समय महाराजा सूरजमल जंगल में शिकार के लिए निकलते थे. एक दिन पशुपालक ने महाराजा सूरजमल को पूरी घटना की जानकारी दी. इस पर महाराजा सूरजमल ने उसी केले के पेड़ के नीचे की जगह को खुदवाया तो उसमें एक शिवलिंग निकला. काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग को जमीन से उखाड़ नहीं पाए. ऐसे में महाराजा सूरजमल ने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कराकर केवलादेव शिव मंदिर का निर्माण करा दिया.