भरतपुर.नगर निगम के समीप नोंह गांव में साल 2014 में कचरा प्लांट खोला गया था, जिससे शहर भर के कचरे से उपजाऊ खाद्य बनाई जा सके और किसानों को उच्च स्तर की खाद्य उपलब्ध हो सके. लेकिन साल 2014 में कचरा प्लांट के शुरू होने के सिर्फ एक महीने बाद कचरा प्लांट बैंड हो गया. तब से नोंह गांव के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.
बता दें कि शहर भर का कचरा अभी भी नोंह गांव में बने कचरा प्लांट में डाला जा रहा है. लेकिन कचरे का निस्तारण नहीं किया जाता, जिसके कारण कचरे में से पॉलिथीन (Polyethylene) उड़-उड़कर किसानों के खेतों में जा रही है. उस कचरे से किसानों की जमीन और फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.
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किसने और क्या किया?
भरतपुर नगर निगम के तहत आने वाले वार्ड नंबर- 50 के पार्षद रामेश्वर सैनी, जिनके वार्ड में कचरा प्लांट आता है. उन्होंने विगत दिनों हुई नगर निगम की मीटिंग में कचरा प्लांट का मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठाया था. बैठक में मांग रखी थी कि कचरा प्लांट की चारदीवारी करवाई जाए, जिससे कचरा उड़कर किसानों के खेतों तक न जा सके. लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक इस समस्या को कोई हल नहीं निकाला गया. इसके अलावा ग्रामीणों ने भी कचरा प्लांट को लेकर कई बार आंदोलन तक कर चुके हैं, जिसके बाद नेताओं ने वादे किए और अधिकारियों ने आश्वासन दिए. लेकिन जमीनी स्तर पर काम कुछ भी नहीं हो सका. जब ग्रामीण अधिकारियों के पास जाते हैं तो अधिकारी एनजीटी से परमिशन न मिलने का बहाना बताकर पल्ला छाड़ लेते हैं.