भरतपुर.औषधीय गुणों को देखते हुए कोरोना संक्रमण काल में सरसों के तेल की मांग एकदम से बढ़ गई. ऐसे में जिले के सरसों तेल उत्पादकों ने अपनी मिलों में दोगुना अधिक क्षमता से सरसों की पिराई शुरू कर दी, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं की मंडियों में सरसों उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते बीते करीब डेढ़ माह से भरतपुर जिले की करीब 90 फीसदी ऑयल मिलों को सरसों उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और ऑयल मिलें बंद पड़ी हैं. ऑयल मिल बंद होने से हजारों मजदूर बेरोजगार होकर घर बैठे हैं. अब मंडियों में सीजन की नई सरसों पहुंचने पर ही ऑयल मिलें फिर से शुरू हो सकेंगी.
भरतपुर में सरसों की आवक कम होनें से बंद पड़ी तेल मिलें इसलिए स्टॉक खत्म
सरसों मंडी के व्यापारी भूपेंद्र गोयल और मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर ऑफ इंडिया के कार्यकारी सदस्य राधेश्याम गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में औषधीय गुणों के चलते सरसों के तेल की मांग एकदम से बढ़ गई, जिसकी वजह से सरसों मिलों में दोगुना से ज्यादा क्षमता से सरसों की पिराई की गई. इसका नतीजा ये हुआ कि जनवरी में ही सरसों का स्टॉक खत्म हो गया.
भरतपुर में नहीं हो रही सरसों की आवक यह भी पढ़ेंःगैंगवार की फिराक में थे पपला के सुरक्षा काफिले में घुसे कुख्यात बदमाश, हिस्ट्रीशीटर समेत 24 गिरफ्तार
110 में से 100 मिल बंद
नई मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष प्रकाश चंद गुप्ता और ऑयल मिल मालिक दीनदयाल सिंघल ने बताया कि फिलहाल मंडी में नई सरसों ना के बराबर पहुंच रही है. पुरानी सरसों का स्टॉक खत्म हो गया है, इसलिए सरसों तेल मिलें बंद पड़ी हैं. नई सरसों मंडी आने में अभी समय लगेगा. अब ना तो मंडियों में सरसों है, ना किसान के पास और ना ही सरकार के पास. ऐसे में जिले की 110 सरसों तेल मिलों में से करीब 100 तेल मिलें बीते डेढ़ माह से बंद पड़ी हैं.
आगामी एक माह तक रहेगी सरसों की कमी
व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि करीब 10 फीसदी सरसों तेल मिल फिलहाल चल रही हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि पुरानी सरसों तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में नई सरसों की आवक शुरू हो गई है जिनमें कोटा, नीमच, निंबाहेड़ा, प्रतापगढ़ जैसे जिलों से नई सरसों मिल रही है और उसी सरसों से कुछ मिलें चल रही हैं, लेकिन भरतपुर जिले और आसपास के क्षेत्रों से नई सरसों की आवक मार्च महीने के बाद से ही शुरू हो पाएगी.
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हजारों मजदूर बेरोजगार
तेल मिल में काम करने वाले मजदूर श्याम सुंदर ने बताया कि बीते करीब डेढ़ महीने तक सरसों की कमी से मिल बंद होने के कारण वो घर पर बेरोजगार बैठे थे. सरसों मिलों में काम करने वाले करीब 15 हजार में से करीब 13 हजार मजदूर अभी भी घरों में बेरोजगार हैं. नई सरसों आने की वजह से कुछ मिले चलना शुरू हुई हैं, जिससे कुछ मजदूरों को तो रोजगार मिल गया है, लेकिन बड़ी संख्या में मजदूरों को अभी भी मिलें चलने का इंतजार है.