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International Family Day : परिवार ने दिया साथ, घर रहकर कोरोना को दी मात - Family boosted up beat Corona

आज INTERNATIONAL FAMILY DAY है. कोरोना जैसी महामारी में परिवार का साथ और सहयोग जीवनदायी साबित हो रहा है. आज हम आपको ऐसे लोगों की कहानी से रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने परिवार की देखभाल के दम पर कोरोना को हरा दिया.

Family support in the corona epidemic, defeated corona by staying at home
International Family Day पर कोरोना विजेताओं की कहानी

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Published : May 15, 2021, 4:19 PM IST

Updated : May 15, 2021, 11:05 PM IST

भरतपुर. परिवार साथ है तो मुसीबत का पहाड़ भी आपके सामने आ जाए तो आप उसे पार कर जाएंगे. कोरोना काल में ऐसी हजारों कहानियां सामने आ रही हैं, जब कोरोना संक्रमित मरीज को होम आइसोलेशन में परिवार की देख-भाल मिली और उसने कोरोना को मात दे दी.

International Family Day पर कोरोना विजेताओं की कहानी

भरतपुर की मुखर्जी नगर कॉलोनी निवासी डॉ महेश चंद्र शर्मा राजकीय औषधालय अवार में आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं. 21 अप्रैल को उनकी तबीयत खराब हुई. 23 मार्च को जांच कराई और 24 को मिली रिपोर्ट में वे कोरोना पॉजिटिव निकले. डॉक्टर शर्मा रिपोर्ट आने के बाद होम आइसोलेट हो गए. सभी परिजनों को अलग कर दिया. चिकित्सकीय परामर्श और आयुर्वेदिक दवाओं से वो खुद का ट्रीटमेंट लेने लगे. खुद की दिनचर्या के हिसाब से नहाना, कपड़े धोना आदि भी परिजनों से अलग कर लिया, ताकि अन्य परिजन संक्रमित न हों. उनकी इस तपस्या में परिवार ने पूरा सहयोग किया.

डॉ शर्मा ने नियमित योग किया, अलग रहे

दोने-पत्तल में खाना, नियमित योग

डॉक्टर शर्मा ने घर के बर्तनों में खाना खाने के बजाय पत्तल दोने मंगा लिए. घरवालों को बर्तनों की सफाई नहीं करनी पड़ी. साथ ही एलोपैथिक चिकित्सक के परामर्श और खुद के आयुर्वेदिक ज्ञान के अनुसार दवाई, औषधि और काढ़े का नियमित इस्तेमाल शुरू किया. सुबह नियमित योगासन किया और दिन में तीन बार भाप ली. घर पर रहकर वे 19 दिन में नेगेटिव हो गए.

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कभी हिम्मत नहीं हारी

डॉ शर्मा ने हिम्मत नहीं हारी. परिजन और पड़ोसी भी हिम्मत बंधाते रहे. बच्चों और पत्नी ने भरपूर देखभाल और सहयोग किया. आज डॉ शर्मा स्वस्थ हैं और परिवार के बीच रह रहे हैं.

पति का भरपूर साथ दिया

डॉ शर्मा की पत्नी सुनीता ने हिम्मत से काम लिया. पति की दवाई और जरूरत के सामान का पूरा ध्यान रखा. दोनों वक्त काढ़ा बनाकर दिया. गरारे करने के लिए हल्दी और काले नमक वाला गर्म पानी दिया और पौष्टिक भोजन का पूरा ख्याल रखा.

प्रदीप का घर अयोध्या में, दोस्तों ने रखा ध्यान

भरतपुर नगर निगम में सहायक अभियंता प्रदीप मिश्रा की कहानी भी कुछ अलग है. वे परिवार से दूर थे. भरतपुर में अकेले रह रहे थे. लेकिन दोस्तों और सहयोगियों ने पूरा साथ दिया. वे भी पॉजीटिव से नेगेटिव हो चुके हैं.

भरतपुर में अकेले थे प्रदीप, दोस्तों ने साथ दिया

मूलतः उत्तर प्रदेश के अयोध्या के रहने वाले प्रदीप को 20 अप्रैल को बुखार, खांसी के लक्षण दिखे. 22 अप्रैल को जांच कराई. 23 को रिपोर्ट पॉजिटिव मिली. प्रदीप ने घर में काम करने वाली बाई को काम से फ्री किया और आइसोलेट हो गए. चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार दवाई ली. चूंकि साथ में कोई परिजन नहीं था इसलिए मित्र पवन घर पर ही दोनों वक्त का खाना और जरूरत के अनुसार दवाई भिजवाते रहे.

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निगम के सहकर्मियों का भी सहयोग मिला. अयोध्या में प्रदीप के पिता भी कोरोना की चपेट में आ गए थे इसलिए घर से कोई भरतपुर नहीं आ सका. दोस्तों के सहयोग से प्रदीप जल्द ही स्वस्थ हो गए.

भरतपुर में कोरोना के आंकड़े

गौरतलब है कि भरतपुर जिले में 13 मई 2021 तक कुल 15,273 लोग कोरोना पॉजिटिव चुके हैं. जिनमें से 11,053 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं जिले में 4041 एक्टिव केस हैं.

Last Updated : May 15, 2021, 11:05 PM IST

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