भरतपुर.जिले में राजस्थान पुलिस के इन ग्यारह सिपाहियों को, जिनको आम लोग सिर्फ घोड़े के रूप में देखते हैं. लेकिन हकीकत में पुलिस महकमा इन्हें अपने किसी सिपाही से कम नहीं आंकता. यही वजह रही है कि पुलिस महकमे में इन घोड़ों के जहां अलग-अलग नाम हैं. वहीं इनका पूरा सर्विस रिकॉर्ड भी संधारित किया जाता है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मूल सिंह राणा ने बताया कि फिलहाल पुलिस की घुड़साल में 11 घोड़े हैं, जिनमें से तीन विदेशी नस्ल (थोरो) के हैं और वहीं आठ घोड़े देसी नस्ल (काठियावाड़ी व मालानी) के हैं. घुड़साल प्रभारी विजेंद्र सिंह ने बताया कि इन सभी 11 घोड़ों का अलग-अलग नाम है, जिनमें कुश, राजा, मोहित, अभिनंदन, बहादुर, भास्कर, मेघ, राघव, आकाश, हैरी और स्टेप ऑन द गैस नाम है. विजेंद्र सिंह ने बताया कि इन सभी घोड़ों के अलग-अलग सवार भी हैं और यह अपने सवार की सिर्फ एक आवाज पर ही उनके पास पहुंच जाते हैं.
कर्मचारियों की तरह भरा जाता है सर्विस रिकॉर्ड...
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मूल सिंह राणा ने बताया कि जिस तरह से राजस्थान पुलिस के प्रत्येक कर्मचारी का एक सर्विस रिकॉर्ड संधारित किया जाता है. उसी तरह से सभी 11 घोड़ों का भी सर्विस रिकॉर्ड होता है. घुड़साल में सभी घोड़ों के पास उनके नाम, सवार, उम्र, रंग, नस्ल आदि की पट्टिका भी लगाई जाती है. साथ ही एक निश्चित उम्र पर इनको सेवानिवृत्ति भी दी जाती है. लेकिन तनख्वाह के रूप इनको दाना-पानी ही दिया जाता है. जहां एक तरफ कर्मचारी को प्रत्येक माह उसकी काम के एवज में तनख्वाह दी जाती है, वहीं घोड़े किसी प्रकार की तनख्वाह नहीं लेते. तनख्वाह के रूप में सिर्फ उनके खान-पान के विशेष इंतजाम किए जाते हैं.
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