भरतपुर. पेंशनर्स को मेडिकल डायरी पर सरकार की तरफ से नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध करवाने की सुविधा दी गई है, लेकिन मेडिकल दवाईयों पर अगर दवाईयां ही न मिलें तो बेचारे पेंशनर्स करें तो क्या करें. ऐसा ही एक मामला भरतपुर से सामने आया है. यहां के मेडिकल दुकानों पर बीपी, शुगर और हार्ट की महत्वपूर्ण दवाईयां भी पेंशनरों को नहीं मिल रही है.
दरअसल पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकारी अस्पतालों में संचालित उपभोक्ता भंडार के दवाई दुकानों पर इन दिनों कई महत्वपूर्ण दवाइयों की कमी नजर आ रही है. हालात यह हैं, कि उपभोक्ता भंडार के दवाई दुकानों पर इन दिनों करीब 30 फीसदी दवाइयों की कमी देखने को मिल रही है.
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इतना ही नहीं इन दुकानों पर पेंशनरों को बीपी, शुगर और हृदय रोगों से संबंधित महत्वपूर्ण दवाईयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रहीं हैं. जिसके चलते बाहर से खरीदी गई दवाईयों की एनओसी के भुगतान के लिए भी पेंशनर्स को महीनों इंतजार करना पड़ता है. यही वजह है, कि सैकड़ों पेंशनर्स का लाखों रुपए का भुगतान भी पेंडिंग है. वहीं जिम्मेदारों का कहना है, कि स्टॉकिस्टों का भुगतान नहीं होने की वजह से दवाईयों की सप्लाई बाधित हुई है.
पेंशनर्स का 3 करोड़ 70 लाख रुपए बकाया
जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार के मेडिकल प्रभारी प्रदीप शर्मा ने बताया, कि जो दवाई, उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, उन्हें पेंशनर प्राइवेट दुकानों से लेकर आते हैं और उनकी एनओसी लगाते हैं. ऐसे में ट्रेजरी में पेंशनर्स का करीब 3 करोड़ 70 लाख रुपए का भुगतान बकाया है.
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