राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

Special: भरतपुर में पधारे राम! न देखी न सुनी आस्था की ऐसी अनूठी मिसाल, ऐसा रहस्य जिससे सब अंजान

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Bharatpur Keoladeo National Park) के घने जंगल के बीचों बीच स्थित सीताराम जी का मंदिर वन्यजीव प्रेम, प्रकृति और आस्था का अनूठा संगम स्थल है. कुछ ऐसा है यहां जो हैरान करता है. शाम की आरती के समय कुछ ऐसा होता है जो वहां मौजूद लोगों को सुखद अनुभूति कराता है.

Special
भरतपुर में पधारे राम!

By

Published : Jan 1, 2022, 2:16 PM IST

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Bharatpur Keoladeo National Park) के घने जंगल के बीचो बीच स्थित सीताराम जी का मंदिर (Sitaram Ji Mandir In Ghana) वन्यजीव प्रेम, प्रकृति और आस्था का अनूठा संगम स्थल है. यहां वर्षों से सीताराम जी की आराधना होती है और सबसे आश्चर्यचकित कर देने वाली वाली बात यह है कि इस मंदिर के प्रांगण में आरती के समय न केवल भक्त बल्कि जंगल से निकल कर दर्जनों हिरण भी जमा हो जाते हैं. मंदिर परिसर में कई हिरण, बिल्ली, सेही वर्षों से रह भी रहे हैं. मंदिर महंत जयरामदास इन जीवों की सेवा करते हैं और घायल वन्यजीवों का उपचार भी. ऐसे में मंदिर परिसर में आस्था, भक्ति और प्रेम बयार बहती रहती है.

सीताराम सुनते ही दौड़े चले आते हैं हिरण

बाबा जयरामदास ने बताया कि वर्षों से इस मंदिर में पूजा-पाठ और वन्यजीवों की सेवा में लगे हुए हैं. उनसे पहले उनके गुरु बाबा सीताराम वन्य जीव सेवा करते थे इसके बाद जयरामदास इस परंपरा को निभा रहे हैं. बाबा जयरामदास ने बताया कि दिन ढलते ही वो सीताराम, सीताराम... की आवाज लगाना शुरू कर देते हैं और इस आवाज को सुनते ही जंगल से दर्जनों हिरण मंदिर परिसर में पहुंच जाते हैं.

भरतपुर में पधारे राम!
आरती पूरी होते ही लौट जाते हैं

बाबा जयरामदास ने बताया कि मंदिर प्रांगण में आने वाले हिरणों को हर दिन दाना डाला जाता है. इस दौरान हर रात 8 बजे रामचंद्र जी, सीता माता और हनुमान जी की आरती होती है. इस दौरान हिरण प्रांगण में ही रुकते और आरती पूरी होते ही रात करीब 9 बजे जंगल में लौट जाते हैं.आरती के दौरान परिसर में बंदर, बिल्ली आदि भी मौजूद रहते हैं.

पढ़ें- Tourism in Bharatpur: पर्यटकों से गुलजार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, सर्दी की छुट्टियों में बढ़ी सैलानियों की संख्या... रोजाना आ रहे एक हजार से अधिक पर्यटक

ऐसे बढ़ा कुनबा

बाबा जयराम दास ने बताया कि 1986 में उनके गुरु बाबा प्रेमदास रास्ते में से एक घायल चीतल के शावक को मंदिर ले आए. मंदिर में उसका इलाज किया और पाला पोसा. उसके बाद स्वस्थ होने पर जंगल में छोड़ दिया. लेकिन कुछ समय बाद ही वह शावक लौटकर मंदिर आ गया और उसके बाद से वह वहीं रहने लगा.

प्रेम से बना बंधन
इसके बाद धीरे-धीरे मंदिर परिसर में वन्यजीवों को दाना डालना शुरू किया. घायल वन्यजीवों की देखभाल और उपचार शुरू किया. जिसके बाद अब मंदिर परिसर में न केवल हिरण बल्कि सेही, बंदर, बिल्ली, नीलगाय, बिज्जू भी रहते हैं. बाबा जयरामदास ने इन वन्यजीवों का नामकरण भी किया है. इनमें हिरणों को रामदास, कृष्णदास, जमुनादास, श्याम आदि नामों से बुलाते हैं.
हिरणों का रखा जाता है खास ख्याल

पढ़ें-भरतपुर में शाकुंतलम : दंपती ने घर के परिसर में बसा दिया पूरा जंगल..जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण बेमिसाल

ये भी पढ़ें- Disclosure in Study Report: तीन दशक में बदला भरतपुर का जलवायु तंत्र, बारिश के औसत दिनों में 20% की गिरावट...प्रवासी पक्षियों की संख्या भी घटी

कछुओं की दुनिया आबाद

बाबा जयरामदास ने बताया कुछ वर्ष पूर्व केवलादेव उद्यान (Bharatpur Keoladeo National Park) में जल संकट हो गया. मंदिर परिसर से सटे हुए कुंड में पानी की कमी आने लगी, जिसकी वजह से कछुओं के जीवन पर भी संकट खड़ा हो गया. ऐसे में बाबा जयराम दास ने बिजली की मोटर लगाकर कुंड में पानी छोड़ा और जल स्तर को बनाकर रखा. बाबा जयराम दास और उनका शिष्य कुंड में रहने वाले सैकड़ों कछुओं को हर दिन आटे की गोली खिलाते हैं और एक आवाज पर कछुए पानी से बाहर निकल कर आ जाते हैं.

सुख दुख के साथी हैं ये सीताराम के भक्त

गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के पक्षियों के लिए अपने खासी पहचान रखता है. लेकिन सीता राम जी का मंदिर (Sitaram Ji Mandir In Ghana) और यहां से पुजारी का वन्यजीव प्रेम भी पर्यटकों को सहज भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details