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राजा मान सिंह हत्याकांड: 35 साल पहले फायरिंग में हुई थी मौत, 1700 से ज्यादा तारीखों के बाद अब 21 को फैसले की उम्मीद

भरतपुर के डीग में हुए बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड का फैसला करीब 35 साल बाद अब 21 जुलाई को आने की उम्मीद है. इस केस की सुनवाई कर रही मथुरा की अदालत ने अब फैसले तारीख तय कर दी है. इस केस में अब तक 1700 से ज्यादा तारीखें पड़ने के साथ ही 8 बार फाइनल बहस भी हो चुकी है.

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21 जुलाई को आ सकता है फैसला

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Published : Jul 14, 2020, 8:53 PM IST

भरतपुर.डीग में हुए बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड को लेकर 35 साल बाद अब 21 जुलाई को फैसला आने की उम्मीद है. इस केस की सुनवाई मथुरा के न्यायालय में हो रही है और अगली सुनवाई की तारीख 21 जुलाई तय की गई है. 35 साल पहले हुए घटनाक्रम के संबंध में Etv Bharat के साथ कुछ चश्मदीद लोगों ने अपनी आंखों देखी साझा की.

डीग निवासी बृजेश पाराशर ने बताया कि जिस समय राजा मान सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के बीच विवाद हुआ. उस समय वह स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थी थे. 20 फरवरी 1985 की घटना के बारे में पाराशर ने बताया कि उस दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर कांग्रेसी प्रत्याशी विजेंद्र सिंह के समर्थन में डीग में एक जनसभा को संबोधित करने आए थे. उस समय राजा मान सिंह का हनुमान जी की तस्वीर वाला पीले रंग का झंडा डीग के किले की लक्खा बुर्ज पर लहराता था. उस समय किसी कांग्रेसी समर्थक ने वो झंडा हटाकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया. इस बात की जानकारी मान सिंह को उनके समर्थक ने दी.

21 जुलाई को आ सकता है फैसला

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पराशर ने बताया कि इससे राजा मान सिंह काफी नाराज हुए. लक्ष्मण मंदिर के पास मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का मंच लगाया गया था और मुख्यमंत्री कस्बे में जनसंपर्क कर रहे थे. इस दौरान राजा ने अपनी जीप (जोंगा) से टक्कर मारकर मंच तोड़ दिया. इससे वहां लोगों में हड़कंप मच गया. उसके बाद डीग के स्कूल में मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर खड़ा था. उसे भी जोंगा से क्षतिग्रस्त कर दिया. इस घटना से मुख्यमंत्री माथुर काफी नाराज हुए और राजा मान सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करवाई.

फायरिंग में मान सिंह की हुई थी मौत

घेरकर की थी गोलीबारी

डीग निवासी सतीश तमोलिया ने बताया कि अगले दिन 21 फरवरी को राजा मान सिंह अपने समर्थकों के साथ जोंगा से कोतवाली थाना जा रहे थे. उस समय पुलिस ने इनके जोंगा को घेर लिया और गोलीबारी कर दी, जिसमें राजा मान सिंह, सुमेर सिंह और हरि सिंह मारे गए. उसके बाद मुख्यमंत्री माथुर को इस्तीफा देना पड़ा और सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराने की घोषणा की थी. उस समय राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसमें तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत एसआई रवि शेखर मिश्रा, सुखराम, जीवन राम, हरि सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, हरि किशन, गोविंद प्रसाद, नेकी राम, सीता राम और कुलदीप को आरोपी बनाया गया.

बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड

अब तक 1700 से ज्यादा तारीखें

जानकारी के अनुसार इस मामले में अब तक 17 सौ से ज्यादा तारीख पड़ चुकी हैं और 8 बार फाइनल बहस भी हो चुकी है. मान सिंह की बेटी पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा के आग्रह पर यह मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया. अब इस पूरे मामले की पैरवी पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा के पुत्र दुष्यंत सिंह कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि न्यायालय की ओर से फैसले की तारीख 21 जुलाई रखी गई है.

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