भरतपुर.शहर में संचालित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी मीडियम) के विद्यार्थी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते हुए नजर आ रहे हैं. निश्चित ही यहां पर बीते करीब 6 माह में विद्यार्थियों की शिक्षा का स्तर सुधरा है, लेकिन विद्यालय परिसर में विद्यार्थियों के लिए ना तो शौचालय की व्यवस्था है और ना ही पेयजल की उचित व्यवस्था.
राजकीय विद्यालय में बच्चों को नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं बता दें कि इतना ही नहीं इस कड़कड़ाती ठंड में भी विद्यार्थी दरी पट्टियों पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यही वजह है कि कुछ विद्यार्थी तो विद्यालय से अपना नाम तक कटवा लिया है.
सुविधाओं को तरस रहे अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी...
करीब 6 माह पूर्व शुरू हुए महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी मीडियम) के विद्यार्थी अब अंग्रेजी बोलने लगे हैं. यहां 277 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, लेकिन ना तो विद्यार्थियों के लिए शौचालय की व्यवस्था है और ना ही स्टाफ के लिए. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे विद्यालय परिसर के एक क्षतिग्रस्त भवन में टॉयलेट के लिए जाते हैं.
खरीद कर लाते हैं पीने का पानी...
विद्यालय परिसर में अभी तक विद्यार्थियों और स्टाफ के लिए पेयजल के कोई भी उचित इंतजाम नहीं हैं. ऐसे में विद्यालय प्रबंधन बाहर से खरीद कर पानी के कैंपर मंगाता है, जिससे विद्यार्थी और स्टाफ के लोग प्यास बुझाते हैं.
दरी पट्टियों पर बैठकर करनी पड़ती है पढ़ाई...
विद्यालय में प्रथम से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. लेकिन विद्यालय में नौवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए ही फर्नीचर की व्यवस्था है, बाकी सभी 8 कक्षाओं के विद्यार्थियों को इस कड़कड़ाती ठंड में जमीन पर दरी पट्टी बिछा कर पढ़ाई करनी पड़ती है.
मूलभूत सुविधाओं के लिए नहीं मिला कोई फंड...
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी मीडियम) तो शुरू कर दिए. लेकिन सरकार की ओर से इन विद्यालयों के संचालन और मूलभूत सुविधाओं के लिए अभी तक अलग से कोई भी बजट जारी नहीं किया गया है. ऐसे में विद्यालय प्रबंधन विद्यालय में सुविधाओं के विस्तार के लिए पूरी तरह से भामाशाहों पर निर्भर है. वहीं विभागीय अधिकारी भी इस तरफ से पूरी तरह असहाय नजर आ रहे हैं.
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गौरतलब है कि करीब 6 माह पूर्व प्रदेश भर में राज्य सरकार की ओर से हर जिले में एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किया गया था. लेकिन भरतपुर के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) में अभी तक मूलभूत सुविधाएं तक नहीं जुटाई जा सकी है, जिसकी वजह से विद्यालय के विद्यार्थियों और स्टाफ को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.