भरतपुर.नदबई कस्बे में करीब पांच साल पुराने चर्चित अवैध हथियार सहित गिरफ्तार दो आरोपियों पर सुपारी देकर युवक की हत्या का प्रयास करने के मामले में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है. शुक्रवार को सीबीआई टीम ने भरतपुर स्थित सर्किट हाउस में परिवादी समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए.
हत्या करने के प्रयास के मामले में जांच शुरू जानकारी के अनुसार पांच सदस्य सीबीआई टीम शुक्रवार को सर्किट हाउस के कमरा नंबर 109 में पहुंची. यहां पर परिवादी रायसीस निवासी वीरेंद्र सिंह सहित तीन लोगों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए.
क्या था मामला?...
जानकारी के अनुसार 28 अक्टूबर 2015 में हस्तपुर थाना सासनी, जिला अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) निवासी सूरज सिंह पुत्र सुरेश सिंह और हिमांशु उर्फ लक्खी पुत्र पूरन सिंह को पुलिस ने अवैध हथियार सहित गिरफ्तार किया था. बाद में गांव लुहासा निवासी सुगड़ सिंह ने गिरफ्तार शार्प शूटर से हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक को तहरीर दी. तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश ने मामले की जांच के निर्देश दिए, जिसमें प्रथम अनुसंधान अधिकारी एएसआई रामपाल सिंह ने रायसीस निवासी वीरेंद्र सिंह सहित दो अन्य को हत्या के प्रयास का आरोपी मानते हुए रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी.
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रायसीस निवासी वीरेंद्र सिंह ने उच्च न्यायालय में परिवाद दायर किया, जिसमें उच्च न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच के आदेश दिए. बाद में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर तत्कालीन नदबई थाना प्रभारी बलवीर सिंह ने जांचकर हत्या का मामला मानते हुए कबई निवासी मनोज सिंह को गिरफ्तार कर लिया था.
उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई जांच...
जानकारी के अनुसार मामले में नदबई क्षेत्र के गांव राय सिंह निवासी वीरेंद्र सिंह ने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. बाद में 7 फरवरी 2020 को उच्च न्यायालय ने पुलिस की मिलीभगत मानते हुए सीबीआई से मामले की जांच कराने के निर्देश दिए. साथ ही ट्रायल कोर्ट स्टे और पीड़ित की पुलिस थाने में हिस्ट्रीशीट खोलने पर तत्कालीन जिला एसपी के खिलाफ डीजीपी को प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया.
इसके बाद एडीजी क्राइम ने सीआईडी सीबी को मामले की जांच का आदेश दिया. सीआईडी सीबी ने 12 बिंदु निर्धारित करते हुए एसपी को रिपोर्ट पेश करने को कहा, लेकिन पुलिस ने बिंदुओं की जांच पड़ताल की बजाय रायसीस निवासी वीरेंद्र सिंह को गिरफ्तार करने के लिए निवास पर दबिश दे दी. बाद में पुलिस के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसके बाद अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है.