भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम शुरू हो गई है. दरअसल, देश-विदेश से विभिन्न प्रजाति के पक्षियों को देखने आने वाले पर्यटक खाद्य सामग्री के रैपर और पानी की बोतल इधर-उधर फेंक देते हैं, जो कि ना केवल पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि यहां के प्रवासी पक्षियों और वन्यजीवों के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकती है.
इसके लिए उद्यान प्रशासन ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए अपने ही कर्मचारियों से पूरे उद्यान परिसर में से पॉलिथीन और प्लास्टिक एकत्रित करवाने का कार्य शुरू किया है. साथ ही घना प्रशासन ने पर्यटकों से अपील भी की है कि वे खाद्य सामग्री के रैपर, बोतल व अन्य प्लास्टिक सामग्री को इधर-उधर फेंकने के बजाय डस्टबिन में डालें.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि उद्यान में पर्यटकों द्वारा जगह-जगह फेंके गए प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने के लिए हर दिन करीब 10 कर्मचारी काम कर रहे हैं. यह कर्मचारी पैदल मैन गेट से लेकर पूरे उद्यान परिसर में घूम-घूम कर प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करते हैं. टीम अलग-अलग हिस्सों में जाकर के प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा कर रही है.
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लग गया प्लास्टिक कचरे का ढेर
निदेशक के निर्देशन में रेंजर परमिंदर सिंह के नेतृत्व में टीम के इंद्रपाल, मंगल, रमन, प्रीतम, अरविंद, मान सिंह, हरदेव कर्मचारी प्लास्टिक कचरा इकठ्ठा करने के लिए श्रमदान कर रहे है. पर्यटकों द्वारा फेंके गए प्लास्टिक कचरे से अब तक दर्जनों बड़े बैग भर गए हैं. प्लास्टिक कचरे से भरे इन बैग को घना परिसर से बाहर नगर निगम के कचरा प्लांट भिजवाया जाएगा.