भरतपुर. नोटबंदी के कई साल बाद भी जाली/नकली नोटों का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा. आरबीआई समय-समय पर नोटों की सिक्योरिटी को लेकर सतर्क रहती है और उसमें बढ़ोतरी भी करती रहती है. बावजूद इसके, बाजार में नकली नोटों का आना बंद (Condition of Fake Currency After Demonetisation) नहीं हो रहा है. प्रदेश की बात करें तो बीते 6 साल में भरतपुर समेत अलग-अलग जिलों में नकली नोटों के 309 मामले दर्ज हुए हैं.
ताज्जुब की बात यह है कि नकली नोटों से जुड़े शातिर बदमाश सिर्फ कलर फोटो कॉपी की मशीन से ही जाली नोट बनाकर लोगों और देश की अर्थव्यवस्था को चूना लगा रहे हैं. ऐसे में आम लोगों को असली और नकली नोटों का अंतर (Game of Fake Currency is not Stopping in Rajasthan) पता होना बेहद जरूरी है.
सबसे ज्यादा 100 और 200 के नोट जालीःकई बार बैंकों में उपभोक्ताओं की ओर से लाए जाने वाले नोटों की जांच के दौरान नकली नोट सामने आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा 100, 200 जैसे माध्यम रेंज के नोट नकली पाए जाते हैं. इसके पीछे खास वजह है कि शातिर बदमाश छोटे नोट और बड़े नोट का जाली नोट तैयार करने से बचता है. क्योंकि छोटे नोट का जाली नोट तैयार करने में खर्चा ज्यादा आता है और बड़ा जाली नोट आसानी से पकड़ में आ जाता है. मध्यम रेंज के नोट आसानी से खपा दिए जाते हैं.
ऐसे तैयार करते हैं जाली नोटः अभी तक बैंकों में पकड़े गए जाली नोटों से यह बात सामने आई है कि अधिकतर जाली नोट कलर फोटो कॉपी से बड़े ही सावधानीपूर्वक तैयार किए गए होते हैं. यह शातिर बदमाश उच्च गुणवत्ता वाली कलर फोटो कॉपी से इतनी बारीकी से जाली नोट तैयार करते हैं कि आम लोग उसको (Bank Officers on Fake Currency) आसानी से पकड़ नहीं पाता.