राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

मदद की आस में 'अपना घर आश्रम', 3000 लोगों पर रोटी का संकट - लॉकडाउन

भरतपुर के 'अपना घर आश्रम' में फिलहाल 3000 से अधिक प्रभुजन (बुजुर्ग, बच्चे और महिला) निवासरत हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के इस दौर में अपना घर आश्रम में बीते एक माह के दौरान एक भी मददगार नहीं पहुंच पाया है. ऐसे में अपना घर आश्रम के कंधों पर इन प्रभुजनों की देखभाल की जिम्मेदारी और बढ़ गई है.

bharatpur news, bread crisis, भरतपुर न्यूज, रोटी का संकट
3000 लोगों पर रोटी का संकट

By

Published : Apr 24, 2020, 6:40 PM IST

भरतपुर. लावारिस, असहाय और निराश्रित 'प्रभुजनों ' की यहां घर और परिवार की तरह देखभाल की जाती है. 'अपना घर आश्रम' में फिलहाल 3000 से अधिक प्रभुजन (बुजुर्ग, बच्चे और महिला) निवासरत हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के इस दौर में अपना घर आश्रम में बीते एक माह के दौरान एक भी मददगार नहीं पहुंच पाया है. ऐसे में अपना घर आश्रम के कंधों पर इन प्रभुजनों की देखभाल की जिम्मेदारी और बढ़ गई है. एक ही परिसर में निवासरत इन प्रभु जनों की संक्रमण से सुरक्षा की जिम्मेदारी का पूरी मुस्तैदी के साथ ध्यान रखा जाता है. यही वजह है, कि यहां संक्रमण से बचाव के लिए इतने पुख्ता इंतजाम किए गए हैं कि अपना घर आश्रम को संक्रमण के लिए 'अभेद्य दुर्ग' बना दिया गया है.

3000 लोगों पर रोटी का संकट
सरकार से पहले कर दिया लॉकडाउन...

आश्रम के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया, कि आश्रम में सरकार के लॉकडाउन से 1 दिन पहले 21 मार्च से ही लॉकडाउन कर दिया गया. आश्रम में बाहर के किसी भी व्यक्ति का प्रवेश पूरी तरह से निषेध है. डॉ. भारद्वाज ने बताया, कि आश्रम में 3000 से अधिक प्रभुजन निवासरत हैं. ऐसे में यहां सुरक्षा ही सबसे बड़ा उपाय है.

एक माह में नहीं पहुंचा एक भी मददगार...

लॉकडाउन की वजह से बीते एक माह में आश्रम में कोई भी दानदाता या मददगार नहीं पहुंच पाया है. डॉक्टर भारद्वाज का कहना है, कि ऐसे हालात में अपना घर आश्रम की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है. हालांकि कुछ सेवा भावी लोग आश्रम से काफी पहले से और नियमित रूप से जुड़े हुए हैं, जो कि समय-समय पर फोन करके यहां की जरूरतों के बारे में जानकारी लेते रहते हैं और अपनी सामर्थ्य अनुसार मदद कर रहे हैं.

पढ़ेंःअजमेरः तबीजी शेल्टर होम से फरार 4 खानाबदोश चढ़े पुलिस के हत्थे, भेजा शेल्टर होम


संक्रमण के लिए 'अभेद्य दुर्ग' बना आश्रम...

डॉ. भारद्वाज ने बताया, कि आश्रम में कोरोना संक्रमण ना फैले इसके लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. सबसे पहले तो आश्रम में बाहर के किसी भी व्यक्ति का प्रवेश पूरी तरह से निषेध कर दिया गया है. साथ ही आश्रम से बाहर भी कोई नहीं जा रहा. आश्रम में सेवा देने वाले सेवा साथियों (केयर टेकर) को भी प्रवेश से पहले 14 दिन तक क्वॉरेंटाइन में रखा जाता है उसके बाद ही उन्हें आश्रम में प्रवेश दिया जाता है. प्रवेश के बाद सेवा साथी और उनका परिवार आश्रम में ही निवास करते हैं. आश्रम के 240 सेवा साथी हैं जिनमें से 100 सेवा साथी आश्रम के अंदर रहकर सेवा कर रहे हैं.

24 घंटे बाद करते हैं खाद्य सामग्री का इस्तेमाल...

बाजार से खरीद कर लाई जाने वाली खाद्य सामग्री, राशन या सब्जी को पहले स्टोर में क्वॉरेंटाइन में रखा जाता है और 24 घंटे बाद ही उपयोग में लाते हैं. गैस सिलेंडर को पहले गर्म पानी से धोते हैं और 24 घंटे के बाद उसका उपयोग किया जाता है. साथ ही आश्रम के प्रभुजनों के समय-समय पर हाथ धुलवाए जाते हैं, परिसर में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव कराया जाता है और मास्क का इस्तेमाल किया जाता है.

गौरतलब है कि भरतपुर के बझेरा में अपना घर आश्रम संचालित है, जिसमें 3000 से अधिक निराश्रित असहाय और लावारिस लोग निवास करते हैं. आम दिनों की तुलना में यहां मदद करने वाले अब ना के बराबर रह गए हैं. अपने सेवाभावी कार्य के चलते ही बीते दिनों डॉक्टर बीएम भारद्वाज और डॉ माधुरी भारद्वाज कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर 100 में भी शामिल हो चुके हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details