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राजस्थानी और पंजाबी विषय 'अनाथ'! प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों के 40 फीसदी पद रिक्त

भरतपुर संभाग के सबसे बड़े एमएसजे कॉलेज में संभाग के अलग-अलग जिलों के विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. हकीकत ये है कि यहां पर स्वीकृत 173 में से 81 पद यानी करीब 47 फीसदी पद रिक्त (Rajasthan Higher education Department) हैं. जिससे शैक्षिक स्तर में भी गिरावट देखी जा रही है.

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राजस्थानी और पंजाबी विषय 'अनाथ'!

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Published : May 7, 2022, 11:07 AM IST

Updated : May 7, 2022, 2:02 PM IST

भरतपुर. प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है. प्रदेश सरकार ने एक के बाद एक प्रदेश में नए महाविद्यालय तो खोल दिए लेकिन उनमें प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए न तो पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हैं और न ही संसाधन. हालात ये हैं कि प्रदेश के महाविद्यालयों में राजस्थानी और पंजाबी विषय को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक (सह/सहायक आचार्य) उपलब्ध नहीं (Rajasthan Higher education Department) है. वहीं पूरे प्रदेश के 372 राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों के करीब 40 फीसदी पद रिक्त हैं. ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि इन महाविद्यालयों के विद्यार्थियों का भविष्य कौन संवारेगा?

इन विषयों के हालात खराब:प्रदेश के महाविद्यालयों में अलग-अलग करीब 44 विषय पढ़ाए जाते हैं. इनमें से राजस्थानी, पंजाबी और सैन्य विज्ञान विषय तो ऐसे हैं, जिनमें क्रमशः 6,3 और 1 पद स्वीकृत हैं लेकिन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं है. इसी तरह गृह विज्ञान, संगीत, मनोविज्ञान, भूगर्भशास्त्र, एबीएसटी, व्यवसायिक प्रशासन और ईएएफएम में 50 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं.

रिक्त पद-1

पढ़ें-उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा: प्रदेश में महाविद्यालय हुए दोगुने, ढांचागत सुविधा, फैकल्टी और गुणवत्ता सरकार की प्राथमिकता- मुख्यमंत्री

संभाग के सबसे बड़े कॉलेज में 47% पद रिक्त: भरतपुर संभाग के सबसे बड़े एमएसजे कॉलेज में संभाग के अलग-अलग जिलों के विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. हकीकत ये है कि यहां पर स्वीकृत 173 में से 81 पद यानी करीब 47 फीसदी पद रिक्त हैं. इतना ही नहीं इस कॉलेज का शैक्षणिक स्तर भी पहले से ज्यादा गिर गया है यही वजह है कि बीते वर्षों में NAAC की ग्रेडिंग में भी गिरावट आ गई. वहीं भरतपुर के आर डी गर्ल्स कॉलेज में 59 में से 27 पद, विधि महाविद्यालय में 10 में से 4 पद रिक्त हैं. लंबे समय से रिक्त चल रहे पदों की वजह से न तो विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पा रही है और न ही संस्थान की शिक्षा का स्तर सुधर पा रहा है.

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ऊंट के मुंह में जीरा:प्रदेश के 372 महाविद्यालयों (Posts lying vacant in Rajasthan Higher education)में शिक्षकों के कुल 6972 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 2782 पर रिक्त हैं. वहीं बीते दिनों राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से सहायक आचार्य के 918 पदों के लिए लिखित परीक्षा कर अन्य प्रक्रिया पूरी की जा रही है. हकीकत में प्रदेश के महाविद्यालयों में रिक्त 2,782 पदों की तुलना में ये पद ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं. वेकैंसी पर सरकार का उदासीन रवैया विद्यार्थियों और नौकरी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे अभ्यर्थियों, दोनों के लिए नुकसान पहुंचाने वाला है.

Last Updated : May 7, 2022, 2:02 PM IST

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