भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अगर मिलना आम बात है लेकिन कई बार इन अजगरों की घना के आसपास के ग्रामीण एरिया में भी मौजूदगी देखी जाती है. ऐसी स्थिति में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के स्नेक कैचर इन अजगरों को रेस्क्यू कर उद्यान में लाकर छोड़ देते हैं, लेकिन घना के कुछ स्नेक कैचर वनकर्मियों को एक अजगर को रेस्क्यू करना भारी पड़ गया.
12 फीट लंबे अजगर को रेस्क्यू किया घना के पास स्थित एक गांव में 12 फीट लंबे अजगर को रेस्क्यू करने के दौरान अजगर एक वन कर्मी को अपने साथ झाड़ियों में घसीट ले गया. बड़ी मशक्कत के बाद अजगर को रेस्क्यू किया जा सका. घना के वन रक्षक धर्मपाल सिंह ने बताया कि बरसो ग्राम पंचायत के सालका गांव में एक बड़ा अजगर निकलने की सूचना मिली. सूचना पाकर वनरक्षक धर्मपाल सिंह अपने एक सहकर्मी के साथ मौके पर पहुंचे, जहां उन्हें एक विशालकाय अजगर दिखाई दिया, जिसकी लंबाई करीब 12 फीट और वजन करीब 80 किलो था.
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वनरक्षक धर्मपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने सहकर्मी के साथ जैसे ही रेस्क्यू करना शुरू किया अजगर ने कई बार उन पर पलट कर हमला किया. सहकर्मी ने रेस्क्यू करने के लिए अजगर को पकड़ा लेकिन फुर्तीला अजगर वनकर्मी को घसीटता हुआ झाड़ियों में ले घुसा. इस दौरान वनकर्मी के कपड़े भी फट गए. तभी वनरक्षक धर्मपाल सिंह ने फुर्ती दिखाई और अजगर को झाड़ियों में गायब होने से पहले ही पकड़ लिया.
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धर्मपाल सिंह ने बताया कि अजगर को रेस्क्यू करने में करीब 20 से 30 मिनट लग गए. दोनों ने मिलकर उसे रेस्क्यू कर बोरे में भर लिया. वनरक्षक धर्मपाल सिंह ने बताया कि रेस्क्यू किए गए अजगर को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में लाकर छोड़ दिया गया है. वनरक्षक धर्मपाल सिंह ने बताया कि उन्हें कई बार अजगर रेस्क्यू करने के दौरान इस तरह के हालात का सामना करना पड़ जाता है. यदि गलती से अजगर की पकड़ में आ जाए तो उसकी पकड़ से छूट पाना बड़ा मुश्किल होता है.