अलवर. जहां एक तरफ कोरोना का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. दूसरी तरफ हालात भी अब सामान्य होने लगे हैं. औद्योगिक इकाइयों में काम शुरू हो रहा है. वहीं, अलवर की खान और क्रेशर में भी श्रमिक काम पर लौटे लगे हैं. ऐसे में श्रमिकों को बड़ी राहत मिल रही है. प्रशासन की देखरेख में गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी जगह पर काम-काज चल रहा है.
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कोरोना काल के दौरान 5 माह से लोगों के काम धंधे बंद हैं. लाखों लोगों की नौकरी छूट गई. लगातार लोगों की आर्थिक हालत खराब हो रही हैं. अलवर को राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है. अलवर में 15,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. यहां बड़ी संख्या में खनन का काम भी होता है. अलवर में 354 खनन पट्टे जारी किए गए हैं. इसके अलावा 86 क्रेशर हैं. जिनमें रात दिन काम चलता है. प्रतिदिन हजारों ट्रक गुड़गांव, दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, एनसीआर के विभिन्न शहरों में पत्थर, रोड़ी, खरंजा, बजरी सहित अन्य निर्माण कार्य में काम आने वाला मैटेरियल सप्लाई होता है. इस काम में हजारों लोग जुड़े हुए हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सभी कामकाज बंद थे. जो अब शुरू होने लगे हैं. विभाग के अधिकारियों की मानें तो मार्बल की खानों में 80 प्रतिशत से ज्यादा काम हो रहा है. जबकि पत्थर की खान 50 प्रतिशत शुरू हुई है.
इसके अलावा क्रेशर पर भी काम का शुरू होने लगा है. अलवर शहर, रामगढ़, राजगढ़ सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों में क्रेशर हैं, जो रात दिन चलते हैं. सभी में कामकाज शुरू हो गया है. ऐसे में हजारों लोगों को राहत मिली है. कोरोना संक्रमण के चलते मजदूरों की रोजी-रोटी बंद हो गई थी. ऐसे में लोगों के सामने बड़ा संकट मंडरा रहा था. काम शुरू होने से लोगों को बड़ी राहत मिली है. अलवर की 15,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयों में 6 से 7 लाख लोग काम करते हैं.