अलवर. गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में गत दिनों आग लगने की घटना सामने आई थी. उस दौरान रेडियंट वार्मर पर लेटी बच्ची झुलस गई थी. जिसने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. इस घटना में 2 एजेंसियां आमने-सामने आ गई हैं व एक-दूसरे पर आरोप थोपने में लगे हुए हैं.
गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लगने की घटना में दो एजेंसी हुई आमने-सामने गत दिनों गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड के एक रेडिएंट वार्मर में अचानक आग लग गई थी. जिसके बाद यह पूरा हादसा हुआ था. रेडिएंट वार्मर की मरम्मत का काम केटीपीएल नाम की कंपनी को दिया हुआ है. इस घटना के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जांच के लिए वार्ड में पहुंचे थे. इस दौरान रेडिएंट वार्मर में शार्ट सर्किट होने का पता चला था.
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वहीं केटीपीएल के इंजीनियरों ने कहा कि अधिक बिजली सप्लाई होने के कारण रेडिएटर वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है. इसी दौरान एनएचएम के तकनीकी कर्मचारी व अधिकारी मामले की जांच के लिए अस्पताल पहुंचे. उनका कहना रहा कि रेडियंट वार्मर पुराने हो चुके हैं. इनकी अवधि समाप्त हो चुकी है. इसलिए रेडियंट वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है.
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उसी दौरान जांच पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर रेडिएंट फार्मर 11 से 12 साल पुराने हैं. जबकि रेडिएंट वार्मर 7 से 8 साल बाद पूरी तरीके से खराब हो जाता है. उसके बाद उसमें किसी तरह की भी कोई भी परेशानी हो सकती है. वहीं अब केटीपीएल कंपनी इस मामले में स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रशासन की गलती बता रही है तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरा मामला केटीपीएल पर थोपने में लगे हुए हैं. इन सबके बीच आम लोगों में बच्चों के उपचार लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.