अलवर. सरिस्का में रविवार को रणथंभौर से आए डॉक्टरों ने बाघ एसटी-6 को ट्रेंकुलाइज करके उसका इलाज किया. डॉक्टरों ने बाघ की पूंछ के पास हुए घाव से कीड़े निकाले. उसके बाद उसको वापस एंक्लोजर में छोड़ दिया गया. नवंबर माह से बाघ की तबियत खराब होने पर उसे एंक्लोजर में रखा जा रहा है.
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गौरतलब है कि सरिस्का में लगातार बाघ का कुनबा बढ़ रहा है. दूसरी तरफ लगातार बाघों की उम्र भी कम हो रही है. सरिस्का में इस समय 10 बाघिन, 6 बाघ और 6 शावक हैं. बाघ ज्यादातर उम्रदराज हो चुके हैं. ऐसे में बाघ पर वन विभाग की नजर है. वन विभाग के कर्मचारी लगातार बाघों की मॉनिटरिंग करते हैं. अक्टूबर माह में बाघ एसटी-6 की पूछ के पास वन विभाग की टीम को घाव की जानकारी मिली, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसकी जांच पड़ताल की और हालत खराब रहने पर बाघ को सरिस्का में बने एंक्लोजर में छोड़ दिया गया. वहां लगातार बाघ की मॉनिटरिंग होती है. समय-समय पर बाघ की जांच पड़ताल होती है, जो बाघ का इलाज होता है. इसी बीच रविवार को रणथंभौर से डॉक्टर सरिस्का पहुंचे. पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग और वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ डीडी मीणा ने बाघ को एंक्लोजर में ट्रेंकुलाइज किया गया. उसके बाद बाघ का इलाज किया गया.
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इलाज के दौरान डॉक्टरों ने बाघ के घाव से कीड़े निकाले और उसका इलाज किया, जिसके बाद वापस बाघ को सरिस्का में बने एंक्लोजर में छोड़ दिया गया, बाघ के लिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से शिकार छोड़ा जाता है और खाने की व्यवस्था की जाती है. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि लगातार बाघ की मॉनिटरिंग हो रही है. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि बाघ एचटी-6 उम्रदराज हो चुका है. इसके अलावा घायल है. हालांकि, अब उसकी हालत पहले से ठीक है. इसलिए उसपर लगातार नजर रखी जा रही है.वन विभाग के कर्मचारी 24 घंटे इनकी मॉनिटरिंग करते .