अलवर. लंबे समय के लॉकडाउन के बाद अलवर रेल मार्ग पर ट्रेनों का संचालन रफ्तार पकड़ने लगा है. रेलवे की तरफ से त्योहार के सीजन को देखते हुए कुछ विशेष ट्रेनें भी चलाई गईं हैं. इससे अलवर जंक्शन पर लोगों की आवाजाही बढ़ी है, लेकिन इसके बाद भी जंक्शन पर काम करने वाले कुली और वेंडरों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. लोग अभी परेशान हैं व दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर जद्दोजहद कर रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि आने वाला समय किस तरह का रहता है.
अलवर जंक्शन जयपुर रेलवे मंडल में जयपुर के बाद सबसे अधिक आय देता है. कोरोना काल से पहले अलवर जंक्शन से प्रतिदिन 35 से 40 हजार यात्री विभिन्न रूटों की ट्रेनों पर सफर करते थे. अलवर जंक्शन पर 80 से अधिक ट्रेनों का ठहराव होता है. माल ढुलाई भी अन्य जगहों की तुलना में अलवर जंक्शन से ज्यादा होती है. अलवर रेल मार्ग राजस्थान को सीधा देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ता है. इसलिए इस रूट पर यात्रियों की संख्या भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा रहती है, लेकिन कोरोना के चलते 6 माह तक यह रूट बंद रहा. इसका सीधा असर यात्रियों के साथ स्टेशन पर काम करने वाले कामगारों के जीवन पर पड़ा.
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अलवर जंक्शन की बात करें तो स्टेशन पर 20 से अधिक खाद्य पदार्थों की स्टाल फूड प्लाजा व ट्रॉली हैं. इसके अलावा अलवर जंक्शन पर 12 कुली हैं और जंक्शन के बाहर और आसपास क्षेत्र में बड़ी संख्या में दुकानदार हैं जो रेल संचालन शुरू होने के बाद भी यात्रियों के बंद होने से प्रभावित हो रहे हैं. हालांकि, रेलवे की तरफ से ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया है. शुरुआत में दो ट्रेनें इस रूट पर चलाई गईं थीं, लेकिन अब कई ट्रेनें इस रूट पर संचालित हो रहीं हैं. इसके अलावा उत्तर पश्चिम रेलवे की तरफ से त्योहार स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रहीं हैं.
बावजूद इसके, अलवर जंक्शन पर काम करने वाले कुली और दुकान लगाने वाले वेंडर अभी भी परेशान हैं. ट्रेनों का संचालन शुरू होने के साथ यहां काम करने वाले कुली और आसपास क्षेत्र के दुकानदारों को उम्मीद थी कि शायद अब उनका काम काज फिर चल निकलेगा, लेकिन हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ. दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलते लोग बाहर की चीजें खाने से बच रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा खाने-पीने का सामान भी लोग घर से ही लेकर चल रहे हैं. ऐसे में दुकानदारों की बिक्री बेहद कम हो रही है. ट्रेनों में अभी केवल आरक्षण वाले यात्रियों को सफर करने दिया जा रहा है, जिससे यात्री संख्या भी कम है. वहीं, कुलियों का कहना है कि कोरोना के भय से लोग सामान उठाने के लिए उन्हें बुलाते ही नहीं हैं. सुबह से शाम तक में इक्का-दुक्का यात्री ही कर रहे हैं.