अलवर .देश में जहां एक तरफ बाघ दिवस मनाया जा रहा है. सरकारें बाघों को बचाने के लिए तमाम दावे कर रही है. वहीं सरिस्का में हुई बाघों की मौत हकीकत कुछ और बयां कर रही है. सरिस्का में बाघों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है. जहां बीते साल चार बाघों की मौत हुई है. वहीं अभी कुछ समय पहले रणथंभौर से सरिस्का लाए गए बाघ की मौत का मामला भी सामने आया था.
देश में तेजी से बाघ मर रहे हैं. बाघों को बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. लेकिन यह बाघ दिवस केवल सरकारी खानापूर्ति बनकर रह गया है. इसलिए सरिस्का में लगातार बाघों के मरने का सिलसिला जारी है. समय रहते बाघों का संरक्षण नहीं किया गया तो जंगल में जैव विविधता की बड़ी समस्या आ सकती है.
मुख्य बातें-
- सरिस्का में बीते साल चार बाघों की मौत हुई है.
- वहीं इस साल एक बाघ की मौत का मामला सामने आ चुका है तो वहीं तीन शावकों की मौत भी हो चुकी है.
- बीते दो दशक में सरिस्का में 20 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है. सरिस्का में इस समय 11 बाघ व 3 बच्चे हैं. हालांकि तीन बच्चों की अभी तक सरिस्का प्रशासन की तरफ से पुष्टि नहीं की गई है
- सरिस्का में बढ़ रहा शिकारियों का दखल
बाघ तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. हर साल देश भर में बाघों को बचाने के लिए नए-नए दावे होते हैं.लेकिन हकीकत सबके सामने है.ऐसे में बाघ दिवस मनाने का क्या फायदा. यही हालात रहे तो आने वाले कुछ सालों में देश बाघ विहीन हो जाएगा.