अलवर.सरिस्का के एंक्लोजर में दो साल से बंद रहे हमलावर और खूंखार बाघ ST6 की 19 अप्रैल को सरिस्का में उसकी मौत हो गई. बाघ अपनी खास पहचान रखता था. जो उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों के जंगल में रह चुका था. इसकी सबसे ज्यादा साइटिंग होती थी. ST6 अपनी टेरिटरी में आए दूसरे बाघों को भी खदेड़ कर भगा देता था. शुरू से ही हमलावर स्वभाव के कारण बाघ रणथंभौर के वन अधिकारी समेत कई लोगों पर हमला कर, उन्हें घायल कर चुका है. सरिस्का में टैरिटरी को लेकर हुए संघर्ष में बाघ एसटी-4 की गंभीर चोटें आने से मौत हो गई थी. लेकिन बीते 2 साल से वो बीमार रहने लगा.
बाघ एसटी 6 को सरिस्का में 23 फरवरी 2011 को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर से लाया गया था. ये बाघ मूलरूप से रणथंभौर का था. रणथंभौर टाइगर रिजर्व से निकलकर ये बाघ भरतपुर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पहुंच गया था. जहां से इसे सरिस्का में शिफ्ट किया गया. सरिस्का में भी अपनी टेरिटरी को लेकर कई बाघ और बाघिन से उसका संघर्ष हुआ. जिसमें बाघ एसटी 6 हमलावर भी रहा. इस बाघ ने एक बार रणथंभौर में हमला कर तत्कालीन डीएफओ को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. वहीं एक बार सरिस्का का वनकर्मी भी इसके हमले का शिकार हो चुका है.