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सरिस्का में बाघ और पैंथर के पसंदीदा भोजन चीतल की है भरमार, घना जंगल होने के साथ ही वनस्पति की है कई प्रजातियां - Sariska Tiger Reserve Latest News

बाघ और पैंथर का पसंदीदा भोजन चीतल है. सरिस्का (Sariska Tiger Reserve) में चीतल की भरमार है. साथ ही सरिस्का क्षेत्र में वनस्पति भी अन्य जंगलों की तुलना में ज्यादा है. इसलिए सरिस्का को बाघों के लिए बेहतर माना गया है. हालांकि सरिस्का के जंगल में घास की कमी है. इसके लिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से विलायती बबूल को हटाकर घास लगाने का काम किया जा रहा है.

increasing population of panthers in Sariska
सरिस्का में बाघ पैंथर के लिए अन्य राष्ट्रीय उद्यानों से बेहतर

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Published : May 12, 2022, 1:47 PM IST

अलवर.रणथम्भौर और सरिस्का में बाघों के कुनबे में लगातार इजाफा हो रहा है. दोनों टाइगर रिजर्व में एक विशेष संयोग भी देखने को मिल रहा है. रणथम्भौर की बाघिन टी-79 और बाघिन नूर शावक साथ नजर आई थी. सरिस्का में भी 5 मार्च को बाघिन एसटी-17 दो शावकों के साथ ट्रैप कैमरों में कैद हुई थी. यह कोई पहला मौका नहीं था जब प्रदेश के दो टाइगर रिजर्व में बाघिनें करीब-करीब एक साथ नए शावकों के साथ नजर आई है. इससे पहले सरिस्का में भी 2020 में एक बाघिन वन विभाग के फोटो ट्रैप कैमरे में दो शावकों के साथ कैद हुई थी.

सरिस्का रणथंभौर और अन्य राष्ट्रीय उद्यानों से बेहतर:कई मायनों में सरिस्का रणथंभौर से बेहतर है. बाघ और पैंथर का पसंदीदा भोजन चीतल है. सरिस्का में चीतल की भरमार है. सरिस्का प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार पर स्क्वायर किलोमीटर में 25 से 26 चीतल हैं. इसके अलावा सरिस्का में बायो डायवर्सिटी भी अन्य जगाहों की तुलना में ज्यादा है. सरिस्का के जंगल में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ पौधे है. घने जंगल का क्षेत्र होने की वजह से सरिस्का रणथंभौर और अन्य राष्ट्रीय उद्यानों से बेहतर (Sariska tiger reserve is better than Ranthambore) है. सरिस्का प्रशासन की तरफ से सरिस्का में बसे गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया लगातार जारी है. इससे बाघों को घूमने के लिए स्वतंत्र क्षेत्र मिल सकेगा.

सरिस्का में बाघ पैंथर के लिए अन्य राष्ट्रीय उद्यानों से बेहतर

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वन्यजीव की मिलने वाली प्रजाति:सरिस्का में बाघ, चीता, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, कैरकल, धारीदार बिज्जू, सियार स्वर्ण, चीतल, साभर, नीलगाय, चिंकारा, चार सींग शामिल 'मृग', जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर और सैकड़ो तरह की पक्षी प्रजातियों और सरीसृप के बहुत सारे वन्य जीव मिलते है. इसके अलावा वनस्पतियों की भी सैकड़ों प्रजातियां सरिस्का क्षेत्र में है. घना होने की वजह से वन्यजीवों को यह जंगल पसंद आता है. रणथम्भौर के साथ सरिस्का में भी बाघों का कुनबा बढने लगा है. ऐसे में प्रदेश में अब सौ से अधिक बाघ हो गए हैं. प्रदेश में अब 82 व सरिस्का में 26 बाघ हो गए हैं. इसके अलावा मुकुंदरा में एक, बूंदी में एक, धौलपुर में एक और करौली में करीब चार से पांच बाघ बाघिन विचरण कर रहे हैं.

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सरिस्का प्रशासन तीन चीजों पर दे रहा विशेष ध्यान:सरिस्का के अधिकारियों की माने तो इस समय सबसे ज्यादा रीलोकेशन, वाटर मैनेजमेंट और ग्रास लैंड डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जा रहा है. इनके बेहतर होने से सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ेगा. जिससे वन्यजीवों को खुला और बेहतर जंगल मिल सकेगा. साथ ही उनके लिए सरिस्का और बेहतर विकल्प बन सकेगा. सरिस्का के अधिकारियों ने बताया कि जंगली घास को हटा कर उसकी धामन जैसी जानवरों के लिए पोष्टिक घास लगाई जा रही है. साथ ही खुले मैदान भी तैयार किए जा रहे हैं ताकि वन्यजीवों को खुला विचरण करने में सुविधा मिले. इन कार्यों के लिए सरकार से बजट मिला है.

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