अलवर. कोरोना की दूसरी लहर ने कई व्यवसायों को प्रभावित किया है. देश का बड़ा सेक्टर ऑटो सेक्टर है. कोरोना की दूसरी लहर ने ऑटो सेक्टर से जुड़े हुए अकेले राजस्थान के 10 लाख लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है.
कोरोना की पहली लहर के बाद कामकाज शुरू हुआ तो लोगों को लगा कि जनजीवन पटरी पर आने लगेगा और नुकसान की भरपाई होगी. लेकिन फिर से शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर ने ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों को परेशानी में ला दिया है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में 5 सेगमेंट होते हैं. प्रत्येक सेगमेंट में हर माह देशभर में लाखों गाड़ियां बिकती हैं. ऐसे में ऑटो पार्ट्स बनाने, गाड़ी रिपेयर करने, पंचर लगाने वाले से लेकर अलग-अलग वर्ग के लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. ऐसे में नए रोजगार तो दूर, जो लोग अभी काम कर रहे हैं उन लोगों की रोजी-रोटी भी संकट में आ गई है.
भारत सरकार के ऑटोमोबाइल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन निकुल साहंगी ने कहा कि कोरोना के चलते साल 2020 पूरी तरह से खराब रहा. बीते 5 सालों में सबसे ज्यादा गिरावट इस साल दर्ज की गई. उसके बाद हालात सामान्य होने लगे थे. बाजार खुलने लगे थे. उस दौरान लगा कि अब हालात ठीक होंगे और नुकसान की भरपाई हो पाएगी. लेकिन एक बार फिर कोरोना और लॉक डाउन लगने लगा है.
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महाराष्ट्र पूरी तरह से लॉक डाउन हो चुका है. मध्यप्रदेश में 4 सप्ताह का लॉकडाउन घोषित हो चुका है. ऐसे में राजस्थान में भी लगातार सरकार की तरफ से सख्ती बरती जा रही है. रात्रि कर्फ्यू शुरू हो गया है. एक दिन का लॉक डाउन लगाया गया है. ऑटो इंडस्ट्री एक बार फिर से अपने निचले पायदान पर जाती नजर आ रही है. देश की 35 प्रतिशत वाहन निर्माता कंपनियां महाराष्ट्र में हैं और वहां वाहन बनते हैं. ऐसे में वाहन नहीं बन पाएंगे और पूरे देश में वाहनों की सप्लाई रुक जाएगी. लगातार कारों की बुकिंग की वेटिंग लंबी हो रही है.
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में मैन्युफैक्चर या डीलर पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह लोग सक्षम हैं, एक पल के लिए नुकसान झेल सकते हैं. लेकिन ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े हुए इंश्योरेंस बेचने वाले, फाइनेंस वाले, सड़क के किनारे गाड़ियों की पंचर लगाने वाले, छोटी-छोटी वर्कशॉप, गाड़ी रिपेयरिंग की दुकान चलाने वाले लोग काम काज कम होने से प्रभावित होंगे.
राजस्थान में 3500 बाइक व कारों की रेट डीलर हैं. इनमें डायरेक्ट रूप से करीब दो लाख लोग काम करते हैं. इसके अलावा ट्रैक्टर ट्रक हैवी व्हीकल की करीब 2000 से अधिक डीलर हैं. इनमें भी एक से डेढ़ लाख लोग काम करते हैं. साथ ही इंश्योरेंस फाइनेंस वर्कशॉप ऑटो पार्ट्स का काम करने वाले करीब 8 लाख से अधिक लोग हैं. राजस्थान में होंडा मारुति जैसी बाइक, कार, टेंपो, ट्रक, बस व ट्रैक्टर की निर्माता कंपनियां हैं. जिनमें करीब तीन लाख लोग काम करते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में ऑटो पार्ट्स बनाने की छोटी-बड़ी यूनिटी व औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें भी बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं. इसके अलावा इनडायरेक्ट रूप में भी लाखों लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. ऐसे में कोरोना का प्रभाव सभी पर पड़ेगा.
अगर फिर से लॉकडाउन की प्रक्रिया हुई तो फर्म नए लोगों को नौकरी पर रख रही थी, उन की प्रक्रिया तो रुकेगी ही, साथ ही जिन लोगों को नौकरी पर रखा हुआ है उनको भी निकालने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.