अलवर.साल 2005 में लगभग बाघ विहीन हो चुका सरिस्का नेशनल पार्क अब बाघों के लिए सुरक्षित घर बन रहा है. यहां लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. इस साल इंद्र देवता भी मेहरबान हुए और बेहतर बारिश के कारण यहां पर्यटकों (tourists) की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
बीते कुछ दिनों में यहां कई नामी हस्तियां भी बाघों का दीदार करने आ चुकी हैं. जिसके चलते सरिस्का पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना. राजस्थान में सरिस्का पार्क ((Sariska Tiger Reserve)) क्षेत्रफल के नजरिये से बड़ा टाइगर रिजर्व है. सरिस्का का कुल क्षेत्रफल 1213.29 वर्ग किलाेमीटर है. यहा बाघाें की कुल संख्या 23 है. इनमें 10 बाघिन, 6 बाघ एवं 7 शावक हैं.
इसी तरह से अन्य टाइगर रिजर्व पर नजर डालें तो रणथंभाैर का कुल क्षेत्रफल 1411.29 वर्ग किमी है. यहा बाघों की कुल संख्या 77 है. इनमें रणथंभाैर में 30 बाघिन, 20 बाघ तथा 19 शावक हैं. इसके अलावा धाैलपुर में 1 बाघ, 1 बाघिन और 2 शावक हैं. इसी तरह कराैली इलाके में 1 बाघ, 1 बाघिन व 2 शावक हैं. मुकंदरा हिल्स का कुल क्षेत्रफल 759.99 वर्ग किमी है. इसमें एक बाघिन हैं. जबकि बूंदी जिले का रामगढ़ जंगल में एक नर बाघ ने टेरिटरी बनाई हुई है.
सरिस्का में अधिकारियाें की लापरवाही और लचर व्यवस्था के चलते 2004-05 में बाघ समाप्त हो गए थे. इस त्रासदी ने भी दुनिया काे एक नई राह दिखाई. बाघाें की घटती संख्या के बाद उनके संरक्षण के लिए 2005-06 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्राेल ब्यूराे (Wildlife Crime Control Bureau) का गठन हुआ. एनटीसीए के गठन के बाद बाघों के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासाें से भारत में पिछले डेढ़ दशक में बाघों की संख्या में तेजी से बढ़ाेतरी हाे रही है.
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पूरी दुनिया के 70 प्रतिशत से अधिक बाघ भारत में हैं. देश में साल 2014 में बाघों की आबादी 1411 के करीब थी, यह 4 साल बाद अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 के अनुसार बढ़कर 2967 हाे गई है. इनमें मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे ज्यादा आबादी है. दूसरे नंबर पर कर्नाटक और तीसरे पर उत्तराखंड राज्य हैं. राजस्थान में बाघाें की संख्या 102 है. इनमें रणथंभाैर में 69, धाैलपुर में 4, कराैली में 4 और सरिस्का में 23 बाघ हैं.
खास पर्यटकों के कारण चर्चा में रहा सरिस्का