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IFS श्रुति शर्मा पहुंची अलवर, कहा- सरिस्का का बदलेगा स्वरूप, लगातार बढ़ रही है बाघों की संख्या - Sariska of Alwar

राजस्थान की वरिष्ठ आईएफएस श्रुति शर्मा रविवार को अलवर पहुंची. अलवर में होने वाले प्रदेशस्तरीय ट्रेनिंग में वो हिस्सा लेंगी. इस ट्रेनिंग के दौरान प्रदेश के सभी डीएफओ को ट्रेंकुलाइज सहित सभी आधुनिक ट्रेनिंग दी जाएगी.

Number of tigers increasing in Sariska, IFS Shruti Sharma on Alwar tour
IFS श्रुति शर्मा

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Published : Mar 1, 2021, 6:42 AM IST

अलवर. जिले के सरिस्का में दो दिवसीय ट्रेनिंग एक मार्च से शुरू होगी. 2 चरणों में होने वाली इस ट्रेनिंग में प्रदेशभर से वन विभाग के सभी डीएफओ हिस्सा लेंगे. इसकी शुरुआत अलवर के सरिस्का से की गई है. इस ट्रेनिंग के दौरान वन अधिकारियों को बाघों को ट्रेंकुलाइज करने, वन्यजीवों की सुरक्षा करने, नई तकनीक से मॉनिटरिंग व्यवस्था बेहतर करने सहित कई अन्य जरूरी चीजों की जानकारी दी जाएगी. साथ ही इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान देश भर से आए वन अधिकारी और वन्यजीवों पर काम कर चुके विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे.

सरिस्का का बदलेगा स्वरूप

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2 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान प्रैक्टिकल भी कराया जाएगा. इसमें शामिल होने के लिए अलवर पहुंची राजस्थान की वरिष्ठ आईएफएस श्रुति शर्मा ने कहा कि सरिस्का साल 2005 में बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद यहां बाघों को शिफ्ट किया गया. अब लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. ऐसे में साफ है कि कहीं ना कहीं वन्यजीवों के प्रति लोगों की सोच बदली है.

श्रुति शर्मा ने कहा कि वन्यजीवों के प्रति मन से डर निकालना होगा. उन्होंने कहा कि सरिस्का के हाल ही में 2 गांव पूरी तरह से विस्थापित किए गए हैं. इन गांव की जगह पर जंगल क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जिससे वन्यजीव आराम से रह सके. साथ ही सरिस्का की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार और अन्य जिम्मेदार एजेंसियों से बातचीत हुई है. जल्द ही वनरक्षक वनपाल व अन्य पदों पर भर्ती की जाएगी. वन्यजीवों की मॉनिटरिंग बढ़ाने के साथ ही इस कार्य में तकनीक को भी काम में लिया जाएगा.

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आईएफएस श्रुति शर्मा ने कहा कि सरिस्का में अभी 23 बाघ, बाघिन और शावक हैं. आने वाले समय में इनका कुनबा बढ़ सकता है. इसके लिए लगातार सरिस्का प्रशासन की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. सरिस्का में जंगल क्षेत्र के हिसाब से यहां 40 बाघ, बाघिन और उनके शावक रह सकते हैं.

रणथंभौर से सरिस्का में बाघों को शिफ्ट करने पर उन्होंने कहा कि इसके लिए लगातार प्रयास आगे भी जारी रहेंगे. सरिस्का की सुरक्षा के लिए चारदीवारी, नए पेड़ लगाना और कैमरा ट्रैपिंग सहित अन्य तकनीक पर भी काम चल रहा है. आने वाले समय में सरिस्का वापस से अपनी विशेष पहचान रखेगा.

श्रुति शर्मा ने कहा कि सरिस्का जंगल के लिहाज से अन्य जगहों से अलग है. सरिस्का एरिया खासा बड़ा है. इसलिए यहां वन्यजीवों की प्रजातियां भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है. लगातार सकारात्मक काम करने का परिणाम भी देखने को मिल रहा है.

क्या होगा ट्रेनिंग में खास...

वन अधिकारियों ने बताया कि अलवर के सरिस्का में चलने वाली 2 दिनों की ट्रेनिंग सुरक्षा के लिहाज से अहम है. इसमें डीएफओ हिस्सा लेंगे. इनको बाघ, पैंथर और जरख को ट्रेंकुलाइज करने व वन्यजीवों की मॉनिटरिंग करने वाइल्ड लाइफ में हो रहे बदलाव सही से कई नई तकनीक के बारे में भी बताया जाएगा. इस ट्रेनिंग के दौरान मुंबई महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, देहरादून, उत्तराखंड और हिमाचल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बाघ, पैंथर, हाथी और भालू सहित अन्य वन्यजीवों पर काम करने वाले विशेषज्ञ और वन विभाग के अधिकारी सहित अन्य लोग हिस्सा लेंगे.

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