अलवर.सरिस्का की डिमांड एक बार फिर से बढ़ने लगी है. बाघों का कुनबा बढ़ने और सरिस्का के जंगल क्षेत्र में बसे गांवों के विस्थापन के बाद यहां आने वाले पर्यटकों को बाघों की साइटिंग हो रही है. ऐसे में पर्यटक खासे रोमांचित हैं. वीआईपी लोगों का भी सरिस्का में एक बार फिर से आगमन शुरू हो चुका है. ऐसे में सरिस्का फिर से अपने पुराने रंग में लौटने लगा है. वन विभाग और सरिस्का प्रशासन की तरफ से पर्यटन को बढ़ाने के लिए आने वाले समय में कुछ फिल्मी स्टार और नामी हस्तियों को यहां लाने की तैयारी चल रही है. सरिस्का अधिकारियों की मानें तो आने वाला समय सरिस्का के लिए खासा बेहतर रहेगा.
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886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला अलवर का सरिस्का देश का अकेला ऐसा नेशनल पार्क है, जिसकी कोई पेरिफेरी नहीं है. ऐसे में वन अधिकारियों के लिए सरिस्का किसी चुनौती से कम नहीं है. सरिस्का के बीचों बीच से होकर अलवर-जयपुर स्टेट हाईवे गुजरता है. ऐसे में 24 घंटे वाहनों का दबाव रहने के कारण शिकार का खतरा रहता है. साथ ही सरिस्का के जंगल क्षेत्र में अभी 20 से अधिक गांव बसे हुए हैं. हालांकि, सरिस्का प्रशासन की तरफ से लगातार इन गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया की जा रही है. हाल ही में 3 गांवों को पूरी तरह से विस्थापित किया गया है, जबकि अन्य गांवों को विस्थापित करने का काम जारी है. सरिस्का में इस समय 23 बाघ, बाघिन और शावक हैं, इसमें 10 बाघिन, 6 बाघ और 7 शावक हैं.
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सरिस्का देश विदेश में खास पहचान रखता था, लेकिन साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया. साल 2005 से पहले सरिस्का में 35 बाघ-बाघिन और उनके शावक थे. पर्यटकों का आना भी धीरे धीरे बंद हो गया था. ऐसे में सरिस्का के जंगल को बचाने के लिए 2008 में रणथंभौर से बाघों को लाकर सरिस्का में शिफ्ट किया गया. देश में पहली बार बाघों को शिफ्ट किया गया. उसके बाद से लगातार सरिस्का को बचाने की कवायद चल रही है. साल 2019 में सरिस्का में 4 बाघों की मौत के मामले सामने आए, लेकिन उसके बाद से लगातार सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. साल 2020 सरिस्का के लिए बेहतर रहा, साथ ही कोरोना के एक साल के लॉकडाउन के बाद आम पर्यटकों के लिए सरिस्का को खोला गया, इसके बाद सरिस्का में आने वाले पर्यटकों को बाघ बाघिन की साइटिंग हुई.
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गांवों को किया जा रहा है शिफ्ट