अलवर.प्रदेश का अलवर जिला देश-विदेश में मेवात क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. अलवर का भपंग वादन व गायन, रिम भवाई नृत्य, मटका भवाई नृत्य और यहां के लोक कलाकार पूरी दुनिया में खास पहचान रखते हैं. यह जिला पांडवों का सबसे पसंदीदा स्थान रहा है, जहां उन्होंने अज्ञातवास बिताया था. यहां कई बड़े मंदिर और स्थानों में इस बात का प्रमाण आज भी मौजूद है.
पांडवों ने यह बिताया था अज्ञातवास...
प्राचीन काल में पांडवों के किस्से मेवात क्षेत्र के कलाकार अपनी जुबान में गायन के माध्यम से लोगों को सुनाते थे. इस कला को पांडवानी कहा जाता है. बदलते समय के साथ यहां की कला और संस्कृति कहीं गुम सी हो गई थी, लेकिन जिले के कुछ ऐसे कलाकार हैं, जो मेवात की संस्कृति को आज भी जिंदा रख रहे हैं. ऐसे ही एक बाल कलाकार हैं प्रवीण प्रजापत, जो महज 15 साल की उम्र में ही देश भर में अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं.
80 शहरों में प्रस्तुत कर चुके हैं विभिन्न नृत्य...
15 साल के प्रवीण लोक नृत्य में तो पारंगत हैं, साथ ही वे पढ़ाई में भी अव्वल हैं. कक्षा 10वीं में प्रवीण ने 90 प्रतिशत लाए हैं. प्रवीण ने अब तक अपनी 5 साल की मेहनत और लगन से देश के 20 से अधिक महानगरों और 80 से अधिक शहरों में कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं. प्रवीण लोक नृत्य की कई शैलियों में पारंगत हैं. इनमें रिम भवाई नृत्य, मटका भवाई नृत्य, चक्का भवाई नृत्य और ग्रामीण मटका भवाई नृत्य प्रमुख हैं.
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जो भी प्रवीण की हैरतअंगेज परफॉर्मेंस देखता है, दांतो तले ऊंगली दबा लेता है. प्रवीण सोशल मीडिया पर भी अपनी वीडियो बनाकर डालते हैं. जहां उन्हें 5 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं. प्रवीण की फ्रेंड लिस्ट काफी लंबी है.
3 से 4 घंटे हर दिन होती है प्रैक्टिस...