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Exclusive: 'चेंजमेकर अवॉर्ड' से सम्मानित पायल जांगिड़ बोली, देश की समस्या किसी एक पायल से दूर नहीं होगी

अलवर के थानागाजी के पास छोटे से गांव हींसल की रहने वाली पायल जांगिड़ को न्यूयॉर्क में विल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने चेंजमेकर अवॉर्ड दिया. पहली बार ईटीवी भारत से खास बातचीत में पायल जांगिड़ ने कहा कि वो गांव में रहकर एक अध्यापक के रूप में बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि देश की समस्या किसी एक पायल से दूर नहीं होगी. उसके लिए हम सभी को एक साथ मिलकर आवाज उठानी होगी.

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पायल जांगिड़ को न्यूयॉर्क में मिला चेंजमेकर अवॉर्ड

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Published : Dec 2, 2019, 7:12 PM IST

अलवर.थानागाजी के पास नारायणपुर रोड पर स्थित छोटे से गांव हींसल की रहने वाली पायल जांगिड़ का 11 साल की उम्र में बाल विवाह हो रहा था. पायल ने अपना बाल विवाह रुकवाया व उसका विरोध किया. छोटी सी उम्र में एक बाल पंचायत से शुरू किया सफर पायल का अभी जारी है. उन्होंने अपने साथ अपनी बहन का भी बाल विवाह रुकवाया माता पिता को पायल की जीद के आगे झुकना पड़ा.

घर-घर जाकर बेटे-बेटी को पढ़ाने के लिए किया प्रोत्साहित
इसके बाद पायल ने हर बच्चे को बाल विवाह के चंगुल से निकालने का निर्णय लिया. उन्होंने गांव के घर-घर जाकर बेटे बेटी को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया. उनकी मेहनत रंग लाई गांव. वालों का कहना है कि बीते कई सालों से एक भी गांव में बाल विवाह नहीं हुआ है. बाल श्रम करने वाले बच्चों को भी उन्होंने नया जीवन दिलवाया. बता दें कि पायल कैलाश सत्यार्थी के 'बचपन बचाओ' आंदोलन से जुड़ी हुई है. उन्होंने बाल परिषद बनाई और बाल पंचायत प्रमुख के तौर पर काम शुरू किया.

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गांव में रहकर अध्यापक बनना चाहती हैं पायल
ईटीवी भारत से बात करते हुए पायल ने कहा जिस तरह से गांव में अभियान चलाकर समस्या खत्म की है. उसी तरह से देशभर में सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है. पायल अभी बीए की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने कहा कि वो गांव में रहकर अध्यापक बनना चाहती हैं व अध्यापक के माध्यम से बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहती हैं. उन्होंने बताया कि बेहतर शिक्षा सभी समस्याओं का समाधान कर सकती है. गांव के बच्चों में सीखने व आगे बढ़ने की ललक होती है तो वही गांव में काम करने की अपार संभावनाएं हैं.

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नोबल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की पत्नी सुमिता सत्यार्थी को अपना आदर्श मानती है पायल
पायल ने कहा कि आश्रम के लोगों ने उनकी खासी मदद की है तो वहीं कैलाश सत्यार्थी की पत्नी सुमिता सत्यार्थी को वो अपना आदर्श मानती है. उन्हीं के दिखाए हुए रास्तों पर चलना चाहती है. पायल को उनके कार्य के लिए उसी मंच पर सम्मानित किया गया. जिस मंच पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्लोबल गोलकीपर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. पहली बार ईटीवी भारत पायल के घर पहुंचा वे उस से खास बातचीत की इस दौरान पायल ने कई अहम जानकारियां देते हुए कहा कि देश में समस्याओं की भरमार है. उन्होंने जब अपने सफर की शुरुआत की उस समय सभी ने उनका विरोध किया. तो उनको तरह-तरह की बातें कहीं इतना ही नहीं उनको अपने परिवार का भी विरोध करना पड़ा. पायल ने कहा उनका सफर कभी पूरा होने वाला नहीं है प्रत्येक कदम पर एक नया चैलेंज मिलता है. समाज के अंदर फैली हुई बुराइयों के लिए हमें सरकार या किसी की मदद का इंतजार नहीं करना चाहिए.

(पार्ट-2) 'चेंजमेकर अवॉर्ड' से सम्मानित पायल जांगिड़ से खास बातचीत

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जहां भी होगा बाल विवाह वहां लोगों को समझाएंगी पायल
राजस्थान के अलावा अन्य जगहों पर भी बाल विवाह होते हैं. इस पर पायल ने कहा कि वो वहां भी जाएंगी व लोगों को समझाएंगी. वो अपने गुरु कैलाश सत्यार्थी का सपना पूरा करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि पूरा देश व विश्व बालमित्र बाल पंचायत बनना चाहिए. लोग बेटा-बेटी में अंतर समझते हैं. उनको लगता है बेटी एक जिम्मेदारी है. उससे इतना जल्दी फ्री हुआ जाए उतना अच्छा है. लेकिन बेटा बेटी समान होते हैं. जिस तरह से हमारा गांव बालमित्र गांव बना है. उसी तरह से सभी जगह पर बालमित्र गांव बनाए जाएंगे व इन समस्याओं को दूर किया जाएगा.

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लड़कियों और महिलाओं के साथ अत्याचार
पायल ने कहा कि हमारे देश में देवियों की पूजा होती है. तो दूसरी तरफ लड़कियों और महिलाओं के साथ अत्याचार भी होते हैं. महिलाएं खुद को कमजोर समझती हैं. इसलिए उनके साथ घटनाएं होती है. जिस दिन वह अपने आप को मजबूत समझकर परेशानियों का सामना करना सीख जाएंगी. उस दिन महिलाओं के ऊपर होने वाली घटनाएं समाप्त होगी, तो वहीं पायल ने कहा कि हमारे देश में जब महिलाओं को सम्मान मिलने लगेगा. उसी दिन देवी की पूजा करने की जरूरत नहीं होगी.

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