अलवर.जयपुर से महज 75 किलोमीटर दूर स्थित डिग्गी नगर में कल्याणजी का अनूठा मंदिर है. खास बात यह है कि चर्म रोग से पीड़ित लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए आते हैं. कल्याण जी के दरबार में माथा टेकने वाले हर श्रद्धालु के कष्ट यहां भगवान स्वयं हर लेते हैं.
खास बात यह है कि भगवान को जिस पानी से स्नान कराया जाता है. उस पानी को पीने और स्नान करने से सभी तरह की श्रद्धालु की बीमारियां दूर हो जाती हैं. देश भर से लाखों श्रद्धालु यहां कल्याण जी के दर्शन के लिए आते हैं। कल्याण जी की अलौकिक प्रतिमा सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है.
जयपुर से सटे टोंक जिले स्थित डिग्गी कल्याणजी की कथा बड़ी रोचक है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में संवत् 1584 (सन् 1527) के ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को तिवाड़ी ब्राह्मणों की ओर से करवाया गया है. टोंक के मालपुरा के समीप डिग्गीधाम में श्री कल्याणजी का मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है. पूरे राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित आसपास के कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर करीब साढ़े 5000 साल पुराना है. भगवान विश्वकर्मा ने इसका निर्माण कराया था. एक ही रात में मंदिर का निर्माण हुआ. मंदिर के निर्माण के बाद जिस पुजारी ने उसकी पूजा शुरू की आज उस पुजारी के परिवार में ही 350 परिवार रहते हैं जो अपने-अपने समय पर यहां पूजा-अर्चना करते हैं.