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अलवर: सरिस्का में फिर बढ़ रही शिकारियों की आहत, बूंदक से कर रहे शिकार - सरिस्का बाघ परियोजना एक बार फिर बाघ विहिन

अलवर के सरिस्का में एक बार फिर से शिकारियों का जाल बिछता हुआ नजर आ रहा है. रणथम्भौर के बाद अब सरिस्का में भी बाघों पर बंदूक चलने लगी है. जानकारी के मुताबिक सरिस्का प्रशासन ने सरिस्का में दो शिकारियों को गिरफ्तार किया है. वहीं सरिस्का के प्रशासन का कहना है कि लगातार शिकारियों से पूछताछ की जा रही है. जिससे और भी खुलासे होने की संभावना है.

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सरिस्का बाघ परियोजना एक बार फिर बाघ विहिन

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Published : Feb 16, 2020, 9:58 AM IST

अलवर.जिले में हमेशा विवादों में रहने वाला सरिस्का एक बार फिर बाघ विहिन हो गया है. जिससे साफ होता है कि इलाके में फिर शिकारियों का जाल बिछता हुआ नजर आ रहा है. जानकारी के मुताबिक रणथम्भौर के बाद अब सरिस्का में शिकारियों की हलचल बढ़ने लगी है. सरिस्का शिकारियों के लिए हमेशा बदनाम रहा है तो यहां आए दिन शिकार के नए मामले सामने आते हैं.

सरिस्का बाघ परियोजना एक बार फिर बाघ विहिन

शिकारियों के चलते एक बार सरिस्का बाघ विहिन हो चुका है, इस मामले की जानकारी मिलते ही सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विभागों को सरिस्का में शिफ्ट करवाया है. यह प्रकिया देश में पहली बार अपनाई गई. इसके बाद यहां बाघों का कुनबा बढ़ा. सरिस्का बाघ परियोजना में बंदूक लेकर शिकारियों की पहुंच बढ़ती जा रही है. 15 दिन पहले भी सरिस्का में जंगली सूअर का शिकार करने का मामला सामने आया था. जिसमें वन कर्मी ने सरिस्का में बंदूक लेकर शिकारियों को पकड़ा था.

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बता दें कि सरिस्का में पहले भी शिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन, उसके बाद भी लगातार ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही है. शिकारियों में राहुल बांसुरी थानागाजी और राधेश्याम बावरिया निवासी सिलीसेढ़ को गिरफ्तार किया गया है. वनकर्मियों ने इनके पास से दो खरगोश, एक देसी बंदूक बरामद की है. पूर्वी बाघ परियोजना सरिस्का में वर्ष 2005 में शिकारी सरिस्का में प्रवेश कर सूअर, खरगोश का शिकार करते रहे हैं.

वनकर्मियों की टीम ने बावरिया परिवारों से बंदूक व शिकार करने के हथियार जप्त किए हैं. शिकारियों के खिलाफ वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला पुलिस की तरफ से दर्ज किया गया है. वन विभाग सरिस्का की टीम लगातार गिरफ्तार शिकारियों से लगातार से पूछताछ कर रही है और पुलिस को कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है.

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