अलवर. रेलवे की तरफ से 1 जून से ट्रेनों का संचालन शुरू करने की तैयारी चल रही है. पहले चरण में जिन ट्रेनों को चलाया जाएगा उसमें अलवर रूट की दो ट्रेनें भी शामिल हैं. ऐसे में उनके आरक्षण की प्रक्रिया भी चल रही है. रेलवे ने 1 जून से ट्रेन सेवा शुरू करने की बात कही है. इसको लेकर सभी जगहों पर आरक्षण प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. तो वहीं अलवर जंक्शन पर ट्रेनों के संचालन को लेकर तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
सोशल डिस्टेंसिंग का होगा पालन रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि जंक्शन पर आने पर जाने के लिए अलग-अलग रास्ता होगा. इसके अलावा स्टेशन पर आने वाले और स्टेशन से बाहर जाने वाले प्रत्येक यात्री को सैनिटाइज किया जाएगा. हाथ धोने की व्यवस्था होगी. जिन यात्रियों को ट्रेन में सफर करना होगा उनको जंक्शन पर 1 घंटे पहले आना होगा.
इस दौरान उनकी स्वास्थ्य जांच होगी. उसके बाद सोशल डिस्टेंस का पालन कराते हुए उनको ट्रेन में बैठाया जाएगा. अलवर जंक्शन पर आरक्षण प्रक्रिया चल रही है. आरक्षण कराने के लिए लोग सुबह से ही लाइन में लग जाते हैं और शाम तक ये प्रक्रिया चलती है. अलवर जंक्शन से दो ट्रेनों का संचालन होगा.
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बता दें कि आश्रम सुपरफास्ट एक्सप्रेस दिल्ली जंक्शन से चलकर अहमदाबाद जाएगी. तो वहीं, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन बीकानेर तक होगा. आश्रम सुपरफास्ट ट्रेन में 4 जून तक टिकट बुक हो चुके हैं. उसके बाद की तारीखों में टिकट मिल रहे हैं. इसी तरह से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन में 20 जून तक सीट फुल हो चुकी है. बड़ी संख्या में लोग सफर के लिए आरक्षण करा रहे हैं. आरक्षण केंद्र के अलावा प्रतिदिन ई टिकट भी हो रहे हैं. रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि ट्रेनों के संचालन की तैयारी की जा रही है. रेलवे की हरी झंडी मिलते ही ट्रेनों का संचालन होगा. इससे हजारों यात्रियों को राहत मिलेगी.
प्रवासी श्रमिकों को पहुंचाया गया उनके घर-
अलवर में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयों में लाखों प्रवासी श्रमिक काम करते हैं. लॉकडाउन के दौरान कुछ श्रमिक अपने वाहन और पैदल अपने घर पहुंचे. जबकि हजारों की संख्या में श्रमिकों को ट्रेन और बस की मदद से उनके घर पहुंचाया गया है.
वहीं, ट्रेन पर नजर डालें तो अलवर जंक्शन से 10 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें रवाना की गई. इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश की ट्रेनें शामिल थी. इसके अलावा 300 के आस-पास प्राइवेट और सरकारी बसों की मदद से श्रमिकों को उनके घर भेजा गया है. 500 किलोमीटर से कम दूरी वाली जगहों पर बस जबकि 500 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले जिलों के लिए ट्रेनों की मदद ली गई. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो ट्रेनों से करीब 18 हजार श्रमिकों को भेजा गया है.
प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि श्रमिकों को भेजने का खर्चा सरकार की तरफ से वहन किया गया. जबकि कुछ विधानसभाओं में कंपनी मालिक और अन्य सामाजिक संस्थाओं की तरफ से भी निजी बसों के माध्यम से श्रमिकों को उनके घर भेजा गया है. प्रदेश में राजस्थान सरकार की तरफ से एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया था. जिसमें घर जाने वाले श्रमिकों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था. उस रजिस्ट्रेशन के हिसाब से श्रमिकों को उनके घर भेजा गया. ऐसे में श्रमिकों को खासी राहत मिली.