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अलवर केंद्रीय कारागार में बनाया गया मास्क और फिनायल को लोगों ने किया पसंद, बंदियों ने कमाए लाखों रुपए

कोरोना काल में जहां पूरे देश में लॉकडाउन था, सभी तरह के काम धंधे बंद थे और देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. वहीं, अलवर के केंद्रीय कारागार में बंदियों ने लाखों रुपए कमाएं हैं. लॉकडाउन के दौरान बंदियों ने मास्क, सैनिटाइजर और फिनाइल बनाया. इसको अलवर के लोगों ने खासा पसंद किया है.

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बनाया गया मास्क और फिनायल

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Published : Jun 6, 2020, 6:51 PM IST

अलवर. जिले का केंद्रीय कारागार राजस्थान के बड़े कारागारों में से एक है. अलवर के कारागार में हजार से अधिक बंदी बंद है. इसमें कई बड़ी गैंग के नामी बदमाश भी शामिल है. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान बंदियों ने मास्क, सैनिटाइजर फिनाइल बनाया, इसको अलवर के लोग खासा पसंद कर रहे हैं. जिसमें कपड़े का मास्क 8 रुपए प्रति नग, 100 एमएल सैनिटाइजर 50 रुपए और 1 लीटर फिनाइल की बोतल 20 के हिसाब से बेची जा रही है.

अलवर केंद्रीय कारागार में कैदियों ने कमाए लाखों रुपए

केंद्रीय कारागार के गेट के बाहर एक काउंटर लगा हुआ है, जिस पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जेल के कर्मचारी सामान बेचते हैं. अब तक करीब पांच लाख का सामान बिक चुका है. इसमें 33 हजार के करीब मास्क बेचकर 2 लाख 57 हजार का फायदा हुआ.

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इसी तरह से 3447 सैनिटाइजर की शीशी बेचकर एक लाख रुपए 73 हजार रुपये और 32 लीटर फिनाइल बेचकर करीब 60 हजार रुपये की आय अर्जित हुई है. इसके अलावा करीब 4000 मास्क बंदी और स्टाफ को इस्तेमाल के लिए दिए जा चुके हैं.

कारागार के जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अलवर जेल में मास्क और फिनायल बनाया गया. जबकि जयपुर जेल में सैनिटाइजर बनाया गया है. यह सभी सामान जेल के बाहर काउंटर पर सुबह से शाम तक बेचा जाता है. अलवर के लोग यह समान खरीदने में खासी रुचि दिखा रहे हैं.

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कई सरकारी विभागों को भी मास्क और अन्य सामान सप्लाई किया गया है. पुलिस, होमगार्ड और रेलवे सहित कई विभागों को केंद्रीय कारागार के स्टाफ ने मास्क सप्लाई किए हैं. साथ ही कारागार में बना सामान अन्य जगहों की तुलना में सस्ता है. इसके अलावा यह गुणवत्ता में बेहतर हैं. इसलिए लोग अलवर जेल के सामान को खासा पसंद कर रहे हैं.

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